फेज: 5
चुनाव तारीख: 20 मई 2024
माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र शुरुआती दौर में समाजवादियों का गढ़ रहा है। वर्ष 1952 के पहले चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी प्रसोपा के टिकट पर आचार्य जेबी कृपलानी ने यहां से जीत दर्ज की। वर्ष 1980 के चुनाव में लोकसभा अध्यक्ष रहे बलिराम भगत ने यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इस सीट से कांग्रेस के नागेंद्र प्रसाद यादव की जीत की हैट्रिक का रिकॉर्ड बरकरार है। हालांकि, सर्वाधिक तीन बार सांसद बनने का रिकॉर्ड जनता दल के नवल किशोर राय के नाम है। इस सीट से दो बार राजद ने जीत दर्ज की है। जबकि, भारतीय लोक दल, प्रसोपा, जनता दल यू और रालोसपा ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। 2014 में एनडीए की ओर से रालोसपा के टिकट पर रामकुमार शर्मा सांसद चुने गए। उन्होंने राजद के सीताराम यादव को शिकस्त दी थी। 2019 में जदयू के सुनील कुमार पिंटू विजयी हुए थे। विधानसभा क्षेत्र और डेमोग्राफी सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीटें आतीहैं। ये हैं-सीतामढ़ी, बथनाहा सुरक्षित, सुरसंड, रुन्नीसैदपुर, बाजपट्टी और परिहार। इनमें सीतामढ़ी, सुरसंड और रुन्नीसैदपुर पर राजद का कब्जा है। जातिगत आधार पर यादवों का कुनबा हावी दिखता है। ये राजद के पारंपरिक वोटर हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, सीतामढ़ी की आबादी 34 लाख 19 हजार 622 है। साक्षरता दर 53.53 फीसद है। लिंगानुपात 885 है। यहां का जनसंख्या घनत्व 1565 प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले में मतदाताओं की संख्या 22 लाख 87 हजार 169 है। बड़ी घटनाएं और विकास पिछले पांच साल में इलाका बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा। कई इलाके सूखे की चपेट में रहे। वर्ष 2018 के अगस्त में सीतामढ़ी कोर्ट में पेशी के दौरान कुख्यात गैंगस्टर संतोष झा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। संतोष की हत्या की साजिश मोतिहारी जेल में रची गई थी। उसके ऊपर कई संगीन वारदात को अंजाम देने का आरोप था। वहजेल के अंदर से ही गैंग चलाता था। दरभंगा में हुए दो इंजीनियरों की हत्या में उसके गैंग का हाथ था। इस मामले में संतोष सहित कई अपराधियों को सजा सुनाई गई थी। सीतामढ़ी को रामायण सर्किट में शामिल किया गया है। 160 करोड़ की लागत से पुनौरा धाम में पर्यटकीय सुविधाओं के विस्तारीकरण पर काम चल रहा। एनएच-527 सी के निर्माण का मसौदा लंबित है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ विकास हुआ है। विद्युतीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। घर-घर शौचालय बन गया है। 60 फीसद घरों में एलपीजी कनेक्शन पहुंच गया है। स्थानीय मुद्दे एनएच-527 सी और डुमरा-बिरौल हाईवे का काम लंबित होना, बथनाहा के सुपैना घाट पर पुल न होना, बैरगनिया को अनुमंडल और पुपरी को जिला बनाने की मांग स्थानीय मुद्दे हैं। कुछ ट्रेनों के परिचालन नहीं होने पर भी लोगों में नाराजगी है। सीतामढ़ी की खास बातें सीतामढ़ी बिहार का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इस लोकसभा सीट का गठन 1957 में किया गया। लक्षमना नदी के तट पर बसा यह क्षेत्र सांस्कृतिक मिथिला का केंद्र है। यह जनकपुत्री देवी सीता की जन्मस्थली माना जाता है। देवी सीता के नाम पर इस क्षेत्र का नाम सीतामढ़ी पड़ा। यह स्थान आज जानकी कुंड के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में मुस्लिम शासन आरंभ होने तक मिथिला के शासकों के कर्नाट वंश ने यहां शासन किया। यह क्षेत्र नेपाल की सीमा से जुड़ता है। जानकी कुंड, बगही मठ, ईशाननाथ मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में शामिल है।