फेज: 6
चुनाव तारीख: 25 मई 2024
पश्चिम में उत्तर प्रदेश के देवरिया व कुशीनगर जनपद की सीमा से लगे तथा गंडक नदी के किनारे बसा गोपालगंज पूर्णत: खेती पर आधारित है। वर्ष 2009 से यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। पूर्व में यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा। यहां वर्ष 1962 से 1977 तक लगातार चार बार कांग्रेस के द्वारिकानाथ तिवारी सांसद चुने गए। 1980 में कांग्रेस के नगीना राय सांसद बने। 2009 में जदयू के पूर्णमासी राम सांसद चुने गए। मोदी लहर में 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के जनक राम सांसद चुने गए। 2019 में जदयू के उम्मीदवार आलोक कुमार सुमन यहां से सांसद बने। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी का गोपालगंज गृह जनपद है। यहां छह विधानसभा सीटें हैं-बैकुंठपुर, गोपालगंज, बरौली, कुचायकोट, हथुआ और भोरे। डेमोग्राफी : कुल मतदाता : 18,32,200 पुरुष : 9,36,334 महिला : 8,95,757 थर्ड जेंडर : 79 नए मतदाता : 22,988 पांच साल में बड़ी घटनाएं सासामुसा स्थित चीनी मिल में 23 दिसंबर 2018 को मिल का ब्वायलर फटने से 12 मजदूरों की मौत हो गई। 16 अगस्त 2017 को जहरीली शराब पीने से शहर के खजुरबानी मोहल्ले में 18 लोगों की मौत हो गई। और पांच लोगों की आंख की रोशनी चली गई। विकास और स्थानीय मुद्दे पिछले पांच साल में गोपालगंज जिला मुख्यालय को बड़ी रेल लाइन से जोड़ा गया। राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज खोला गया, जबकि इंजीनियरिंगकॉलेज का काम प्रगति पर है।बेरोजगारी, बंद हथुआ चीनी मिल को चालू कराने की मांग और सिंचाई के अपर्याप्त साधन प्रमुख स्थानीय मुद्दे हैं। गोपालगंज की खास बातें गोपालगंज बिहार का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। देश के लिए 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इस निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया गया था। गोपालगंज नगर पालिका और जिला मुख्यालय है। यह क्षेत्र गंडक नदी के किनारे पर स्थित है। इस इलाके की सीमाएं चम्पारण, सिवान जिले के साथ ही उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से जुड़ती हैं। कई छोटी बड़ी नदियों से घिरे होने के कारण यह क्षेत्र बेहद उपजाऊ है। यहां गन्ना उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 147 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 955 किलोमीटर है।