फेज: 7
चुनाव तारीख: 1 जून 2024
पर्यटक स्थल वाणावर के साथ ही सूफी सर्किट से जुड़ी बीबी कमाल की मजार इस संसदीय क्षेत्र की पहचान है। नक्सली आतंक से पीड़ित कृषि प्रधान क्षेत्र ने कई नरसंहारों का दंश झेला है। अब नया सवेरा आया है। क्षेत्र को नक्सली वारदातों से मुक्ति मिली है। वर्ष 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के बिगेश्वर मिश्रा यहां के सांसद बने। उनके बाद 1957 से लेकर 1962 तक कांग्रेस की सत्यभामा देवी सांसद रहीं। 1967 से 1971 तक भाकपा के चंद्रशेखर सांसद रहे। 1977 में जनता पार्टी के हरिलाल प्रसाद सिन्हा लोकसभा पहुंचे। 2004 में राजद के गणेश प्रसाद सिंह तथा 2009 में जदयू के डॉ. जगदीश शर्मा यहां से जीते। 2014 में डॉ. अरुण कुमार यहां के सांसद बने। 2019 में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद को जनता ने संसद में भेजा। इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र है- जहानाबाद, मखदुमपुर, घोसी, अरवल, कुर्था और अतरी। डेमोग्राफी कुल मतदाता : 1276912 पुरुष : 680766 महिला : 596146 थर्ड जेंडर : 284 नए मतदाता- 17, 000 पिछले पांच साल की बड़ी घटनाएं वर्ष 2018 में अरवल के बैंक ऑफ बड़ौदा के मैनेजर आलोक चंद्रा की हत्या।वर्ष 2019 में परसविगहा थाना क्षेत्र के मिश्र विगहा गांव में तीन सगे भाइयों की पीट-पीटकर हत्या की गई। हत्यारोपी महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था। विकास का हाल यहां पर्यटक स्थल वाणावर में रोप-वे और हुलासगंज में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्वीकृति मिली है। सड़क, बिजली की स्थिति बेहतर हुई है।बेरोजगारी, शिक्षा, अपराध पर लगाम, सिंचाई के इंतजाम और कुटीर औद्योगिक विकास यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। जहानाबाद की खास बातें जहानाबाद बिहार का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इसे देश के लिए 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनावों में गठन किया गया था। इस लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। यह जिला मुख्यालय भी है। मुगलकाल के दौरान इस क्षेत्र में जहांआरा नाम से मंडी की स्थापना की गई जिसके नाम पर इस क्षेत्र का नाम जहानाबाद पड़ गया। एस एन सिन्हा कॉलेज, स्वाथमी सहजानंद महाविद्यालय यहां के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान हैं। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 48 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 1057 किलोमीटर है।