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चुनाव तारीख: 1 जून 2024
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद पटना की लोकसभा सीट दो हिस्सों में बंट गई। एक पटना साहिब और दूसरी पाटलिपुत्र। पाटलिपुत्र के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं। वर्ष 2009 में पहली बार इस सीट पर जदयू उम्मीदवार डॉ. रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद से टिकट न मिलने से नाराज रामकृपाल यादव ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा और पाटलिपुत्र सीट से विजयी हुए। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद की मीसा भारती को लगभग 40 हजार वोटों से हराया। इसके बाद 2019 में रामकृपाल यादव ने फिर से मीसा भारती को हराया। विधानसभा और वर्चस्व इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत दानापुर, मनेर, फुलवारी सुरक्षित, मसौढ़ी सुरक्षित पालीगंज और विक्रम विधानसभा क्षेत्र आते हैं। डेमोग्राफी - कुल मतदाता : 19,09,074 - महिला मतदाता : 9,10, 035 - पुरुष मतदाता : 9,99, 039 - थर्ड जेंडर : 56 - नए मतदाता : 14,050 पिछले पांच साल की बड़ी घटनाएं - 30 अगस्त, 2017 को मसौढ़ी के धनरुआ प्रखंड में इलाहाबाद बैंक के कैश वैन से अपराधियों ने 45 लाख रुपये लूटे। - सितंबर, 2017 में बिहटा के उदय चित्र सिनेमा हॉल के मालिक और बिहटा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष निर्भय सिंह की गोली मारकर हत्या। विकास का हाल - कई सुदूर गांवों, खासकर दियारा के इलाकों में बिजली आपूर्ति बहाल हुई। पटना में पाइपलाइन गैस आपूर्ति की शुरुआत दानापुर-नौबतपुर इलाके से ही हुई। दो नए सीएनजी स्टेशन खुले। आठ लेन की दानापुर-खगौल सड़क का निर्माण कार्य शुरू। बिहटा में ईएसआई अस्पताल का शिलान्यास। एम्स, पटना में इमरजेंसी सेवा और ट्रामा सेंटर की शुरुआत। पटना-औरंगाबाद नेशनल हाई-वे का निर्माण। दानापुर, पालीगंज, बिक्रम में लिंक सड़कों का निर्माण। स्थानीय मुद्दे बेरोजगारी, बढ़ता अपराध, बिहटा-औरंगाबाद रेलखंड का निर्माण, गंगा पर स्थायी पुल, और सिंचाई की समस्या यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। पाटलिपुत्र की खास बातें पाटलिपुत्र भारत के 543 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। यह निर्वाचन क्षेत्र बिहार के पटना जिले का हिस्सा है। 2008 तक पटना के लिए केवल एक लोकसभा सीट थी। पुनर्गठन के बाद शहर को दो सीटों से बांटा गया। बिहार राज्य का यह बेहद महत्वपूर्ण इलाका है। गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई।