फेज: 7
चुनाव तारीख: 1 जून 2024
पूर्वांचल के रास्ते बिहार का द्वार कहा जाने वाला गंगा किनारे बसा बक्सर संसदीय क्षेत्र कभी किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा। यहां के मतदाताओं ने कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा पर भरोसा जताया। वामपंथियों और राष्ट्रीय जनता दल को भी यहां से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 2014 के चुनाव में भाजपा के अश्विनी कुमार चौबे राजद के जगदानंद सिंह को हराकर सांसद बने। 2019 में भी जनता ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें संसद भेजा। बक्सर की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पहचान है। पुराणों में इसे महर्षि विश्वामित्र की धरती कहा गया है। यहीं चौसा में शेरशाह ने मुगल शासक हुमायूं को पराजित किया था। अंग्रेजों की सेना ने बंगाल, अवध और मुगलों की संयुक्त सेना को हरा देश में ब्रिटिश हुकूमत की बुनियादी रखी थी। यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि आधारित है। पिछले पांच साल की प्रमुख घटनाएं - 8 मई 2014 को बक्सर व्यवहार न्यायालय में अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पेशी के लिए आएकमलेश यादव की हत्या कर दी। - 15 मार्च 2015 को ट्रक ने पांच लोगों को कुचल दिया। विरोध में लोगों ने औद्योगिक थाने में आग लगा दी, जिसमें चौकीदार की मौत हो गई। - 13 अप्रैल 2017 को राजपुर थाना क्षेत्र के लक्ष्मणपुर डेरा में अपराधियों ने तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। विकास का हाल पिछले पांच साल में संसदीय क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम हुआ है। वर्षों से लटके बक्सर-पटना फोरलेन और गंगा नदी पर बक्सर और बलिया के बीच नए पुल पर निर्माण कार्य शुरू हुआ। चौसा पॉवर प्लांट को नीति आयोग से सहमति मिली। बिजली की स्थिति अच्छी हुई और ग्रामीण सड़कों पर काफी काम हुआ। विधानसभा क्षेत्र और प्रमुख मुद्दे बक्सर लोकसभा के अंतर्गत छह विधान सभाएं हैं-बक्सर सदर, ब्रह्मपुर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़ और दिनारा।सिंचाई की समस्या, धान क्रय में विफलता, शिक्षा में बदहाली, और रेल ओवरब्रिज के न बनने से जाम की समस्या यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। डेमोग्राफी कुल मतदाता : 1806004 - पुरुष मतदाता : 953853 - महिला मतदाता : 852125 - थर्ड जेंडर : 26 - नए जुड़े मतदाता : 37158 बक्सर की खात बातें बक्सर बिहार के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था। सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई शुजाउद्दौला और कासिम अली खां की और अंग्रेज मेजर मुनरो की सेनाओं के बीच यहीं 1764 में लड़ी गई थी। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बड़ा मेला लगता है। यह क्षेत्र भगवान राम के प्रारंभिक जीवन से भी जुड़ा माना जाता है। यहां गुरु विश्वामित्र के आश्रम में राम और लक्ष्मण की शुरुआती पढ़ाई हुई थी। राक्षसी ताड़का का वध राम ने यहीं किया था। यहां बिहारी का प्रमुख मंदिर भी है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 118 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 958 किलोमीटर है।