फेज: 5
चुनाव तारीख: 20 मई 2024
भगवान गौतम बुद्ध नगरीय कौशांबी उत्तर प्रदेश की टॉप- 5 अनुसूचित बाहुल्य लोकसभा सीट में शामिल हैं। चुनाव में अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं की अहम भूमिका है। वर्ष 2014 से पहले यह सीट चायल लोकसभा के नाम से जानी जाती थी। वर्ष 1951 में हुए लोकसभा चायल से कांग्रेस प्रत्याशी मसुरिया दीन सांसद बने। अपने कुशल व्यवहार की वजह से ये जनता के बीच पकड़ बनाए रहे, जिसकी वजह से चार बार कांग्रेस पार्टी से सांसद बने। इसी प्रकार सपा प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार को तीन बार चायल संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने का मौका मिला। पहली बार डा. अमृतलाल भारतीय व दूसरी बार विनोद सोनकर सांसद हुए। 2019 में एक बार फिर विनोद सोनकर को यहां से जीत हासिल हुई। विधानसभा क्षेत्र और स्थानीय मुद्दे संसदीय क्षेत्र में कौशांबी जिले की विधानसभा सीटें सिराथू, मंझनपुर, चायल और प्रतापगढ़ जिले की कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीटें शामिल हैं। चायल संसदीय क्षेत्र में कौशांबी के तीन विधानसभा क्षेत्रों के अलावा प्रयागराज की शहर पश्चिमी व फतेहपुर जनपद की खागा विधानसभा सीट शामिल थी। वर्ष 2014 में हुए चुनाव में इसे संसदीय क्षेत्र कौशांबी का दर्जा मिला। तब विधानसभा शहर पश्चिमी व फतेहपुर जनपद की खागा को हटाकर प्रतापगढ़ जनपद की कुंडा व बाबागंज विधानसभा को शामिल किया गया। 2011 की जनगणना के अनुसार कौशांबी की साक्षरता दर 55.51 प्रतिशत है। स्थानीय मुद्दों में बेरोजगारी, औद्योगिक इकाईयों की स्थापना, कृषि क्षेत्र में पिछड़ापन प्रमुख मुद्दे हैं। कौशांबी की खास बातें कौशांबी, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। बौद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्ध कौशांबी उत्तर प्रदेश राज्य का एक क्षेत्र है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी कौशांबी काफी महत्वपूर्ण है। यहां स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों में शीतला मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, प्रभाषगिरी और राम मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। कौशांबी को पहले कौशाम के नाम से जाना जाता था। यह बौद्ध और जैनों का पुराना केंद्र है। इसका मुख्यालय मंझनपुर में है। शीतल देवी मंदिर, प्रभाषगिरी, दुर्गा देवी मंदिर, श्री राम मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। लखनऊ से कौशांबी की दूरी 172 किलोमीटर है वहीं दिल्ली से इसकी दूरी 654.5 किलोमीटर है।