फेज: 7
चुनाव तारीख: 1 जून 2024
देवरिया का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि देवरिया नाम की उत्पत्ति ‘देवारण्य’ या ‘देवपुरिया’ से हुई थी। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, ‘देवरिया’ नाम इसके मुख्यालय के नाम से लिया गया है और इसका मतलब होता है एक ऐसा स्थान, जहां कई मंदिर होते हैं। संत देवरहा बाबा की धरती के रूप में इसकी विशेष ख्याति है। बिहार राज्य से सीमा साझा करने वाली देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव 1952 से शुरू होता है। 2014 में यहां से कद्दावर भाजपा नेता कलराज मिश्र जीते थे। उसके बाद रमापति राम त्रिपाठी ने 2019 में भाजपा को जीत दिलाई। यहां लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है। विधानसभा, स्थानीय मुद्दे और डेमोग्राफी 1952 में गोरखपुर से अलग हुआ देवरिया जिला कभी गन्ना की खेती के लिए जाना जाता था। क्षेत्र में 14 चीनी मिलें थीं। गन्ने का बकाया मूल्य भुगतान न होने के कारण यहां के किसानों का गन्ने की खेती से मोहभंग होता गया। औद्योगिक शून्यता, बाढ़, बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे हैं। देवरिया लोकसभा के अंतर्गत देवरिया, तमकुही राज, फाजिलनगर, पथरदेवा, रामपुर कारखाना विधानसभा सीटें हैं। 2011 की जनगणना के जिले की आबादी 31 लाख से ज्यादा है। देवरिया की खास बातें देवरिया से पहले सांसद विश्वनाथ राय थे। देवरिया लोकसभा के अंतर्गत देवरिया, तमुखी राज, फाजिलनगर,, पथरदेवा, रामपुर कारखाना विधानसभा हैं। देवरिया कभी कोशल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। गांधी जी ने देवरिया और पडरौना में 1920 में जनसभा को संबोधित किया था। देवरिया जिला गोरखपुर से 16 मार्च 1946 को अलग हुआ था।