फेज: 5
चुनाव तारीख: 20 मई 2024
एक तरफ पचनद तो दूसरी तरफ यमुना और बेतवा नदियों से घिरा जालौन, कानपुर देहात और झांसी को मिलाकर संसदीय क्षेत्र का परिसीमन किया गया है। आजादी के बाद से 1985 तक कांग्रेस का दबदबा 1977 में जरूर जनता पार्टी के उम्मीदवार को सफलता मिली थी। तब से लेकर अभी तक 1999 में बसपा और 2009 में सपा को छोड़ दें तो भाजपा काबिज रही है। 1952 से लेकर 1957 तक दो-दो सांसद चुने गए। 1952 में संसदीय क्षेत्र जालौन - इटावा और 1957 में जालौन-हमीरपुर संसदीय रहने के दौरान जिले को दो-दो सांसद मिले। विधानसभा, विकास और स्थानीय मुद्दे लोकसभा क्षेत्र में जालौन जिले की उरई, कालपी, माधौगढ़, झांसी की गरौठा और कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट शामिल है। इन पर भाजपा काबिज है। यमुना, बेतवा, सिंधु, क्वारी, पहुज, चंबल, सिंध आदि नदियों वाले जालौन संसदीय क्षेत्र में सूखा प्रमुख मुद्दा है। बीते बीस सालों में यहां फोरलेन बने। रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ है। यहां के प्रमुख सिंचाई, पचनद बांध और रोजगार के साधनों की कमी है। जालौन की खास बातें जालौन के बारे में मान्यता है कि इसका नामकरण ऋषि जलवान के नाम पर पड़ा था। जालौन तीन नदियों, यमुना, बेतवा और पहूज से घिरा हुआ है। जालौन लोकसभा से पहली बार सांसद 1977 में रामचरन बने थे। वर्तमान में यहां से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा हैं। जालौन लोकसभा के अंतर्गत भोगनिपुर, माधोगढ़, काल्पी, उरई, गरौथा विधानसभा सीटें हैं। जालौन में 1151 गांव और 22 पुलिस स्टेशन हैं।