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चुनाव तारीख: 13 मई 2024
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाली कानपुर संसदीय सीट पर 1991, 1996 और 1998 में हुए चुनाव में बीजेपी जीती। इसके बाद 1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद चुने गए। जायसवाल दो बार केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। मोदी लहर में 2014 में डॉ मुरली मनोहर जोशी से चुनाव हारे। 2019 में यहां से भाजपा के सत्यदेव पचौरी सांसद बने। क्रांतिकारियों की इस धरती सर्वाधिक बार कांग्रेस के सांसद जीते। विकास और स्थानीय मुद्दे बीते बीस सालों में यहां से दिल्ली के लिए दो ट्रेनें मिलीं। टूलरूम का काम चल रहा है। आइएसआइ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। 1980 मेगावाट के बिजलीघर की अनुमति मिली। कानपुर-सागर हाईवे का चौड़ीकरण हुआ। कांशीराम ट्रामा सेंटर मिला। हवाई सेवाएं मिलीं। इंजीनियर डॉक्टर बनाने वाले वाले और देश में नामचीन ब्रांड देने वाले इस शहर में कपड़ा मिलों को दोबारा चालू करना और औद्योगिक विकास की मांग अलग अलग फोरम पर उठती रही है, हालांकि कभी चुनावी मुद्दा नहीं रहा। इस समय अनवरगंज से फर्रुखाबाद जाने वाली रेल लाइन को मंधना से पनकी तक मोडऩा और टेनरी शिफ्टिंग व प्रदूषण के नाम पर टेनरी बंद करना बड़ा मुद्दा है। कानपुर की खास बातें कानपुर, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। कानपुर का मूल नाम 'कान्हपुर' था। यह नगर गंगा के नदी तट पर बसा हुआ है। लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर स्थित यह नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। नाना राव पेशवा का किला इस शहर की ऐतिहासिकता की गवाही देता है। यहां का श्री राधाकृष्ण मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, कमला रिट्रीट, फूल बाग, कानपुर मेमोरियल चर्च प्रमुख दार्शनिक और धार्मिक स्थल हैं। कानपुर को शिक्षा का गढ़ माना जाता है। यहां पर आई.आई.टी, कानपुर यूनिवर्सिटी, गणेश शंकर विद्यार्थी मेडीकल कॉलेज, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, राष्ट्रीय दलहन अनुसांधन केंद्र, चंद्र शेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय प्रमुख शैक्षिक संस्थान हैं। यहां के ठग्गू के लड्डू पूरे देश में लोकप्रिय हैं। यहां का चमड़ा और सूती कपड़ा पूरे देश में निर्यात किया जाता है। दिल्ली से इस शहर की दूरी करबी 450 किलोमीटर है।