फेज: 3
चुनाव तारीख: 7 मई 2024
देश व प्रदेश की राजधानी के ठीक बीच में स्थित सुरमे-झुमके के नांम से देशभर में मशहूर बरेली लोकसभा सीट पर भाजपा का वर्चस्व रहता चला आ रहा है। संतोष गंगवार आठ बार सांसद बन चुके हैं। केंद्र की भाजपा सरकारों में वह मंत्री भी रह चुके हैं। उनसे पहले एक बार इस सीट से पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम आबिदा भी सांसद रह चुकी हैं। कांग्रेस ने लंबे समय के बाद 2009 में भाजपा को हराया तो लेकिन अगले ही चुनाव में संतोष गंगवार ने जीत हासिल कर हिसाब चुकता कर लिया। विधानसभा क्षेत्र और बड़़ी घटनाएं जिले में बरेली, कैंट, नवाबगंज, मीरगंज, बहेड़ी विधानसभा सीटें हैं। जिसमें कुल 26 लाख मतदाता हैं। इस पांच साल कोई बड़ी घटनाएं नहीं हुईं। हालांकि, सर्राफ से 15 लाख की लूट, उनके कर्मचारी को गोली मारकर भागने वाले दो बदमाश एनकाउंटर में ढेर किया गया। विकास का हाल ज्यादातर रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज बन चुके हैं। सेटेलाइट बस स्टैंड चौराहा समेत कुछ और क्षेत्रों में पुल हाल ही मंजूर हुए हैं। विकास के एतबार से स्थिति ठीक है। सिविल एन्क्लेव का निर्माण चल रहा है। अगले माह बरेली से हवाई सेवा शुरू होने की उम्मीद है। स्थानीय मुद्दे रोजगार की समस्या से पार पाने के लिए मेगा फूड पार्क और आइटी पार्क प्रस्तावित है, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी बन नहीं पाया है। लघु उद्योग धंधों की हालत भी अच्छी नहीं है। बरेली का मांझा, पतंग, जरी-जरदोजी, फर्नीचर के कारोबार की हालत खराब है। इन उद्योग धंधों से जुड़े कारीगर दयनीय स्थिति में हैं। तीन तलाक और हलाला के खिलाफ देश में सबसे मुखर आवाज बरेली से ही उठी थी। आला हजरत खानदान की बहू निदा खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी बड़ी मुहिम छेड़े हुईं हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने से बाघ-मानव संघर्ष की घटानाएं भी बढ़ी हैं। पिछले पांच साल में लगभग दर्जन भर लोगों की मौत हो चुकी है। पर्यटन के लिहाज से यह समूचा क्षेत्र बेहद मुफीद है। पीलीभीत में टाइगर रिजर्व, पूरनपुर में गोमती नदी का उद्गमस्थल, एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध, पसगंवा पक्षी विहार, चूुका बीच, बरेली में अहिच्छत्र, यक्ष की साक्षी महाभारतकालीन लीलौर झील, पांचाल नगरी, विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल, आला हजरत दरगार, खानकाह नियाजिया, बदायूं में कछला घाट, सहसवान का सरसोता ताल, छोटे सरकार, ब़ड़े सरकार की दरगाह, शाहजहांपुर में बहादुर खां का मकबरा, परशुराम का मंदिर। इतने सारे तीर्थ और पर्यटन स्थल रुहेलखंड में आते हैं। लिहाजा इस चुनाव समूचे रुहेलखंड को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की मांग हो रही है। किसानों के लिए चीनी मिल व उसके भुगतान से जुड़े मुद्दे हैं तो दूसरी गिरता हुआ जलस्तर भी बड़ा मुद्दा है। यहां अनाज भंड़ारण की भी उचित व्यवस्था नहीं है। सड़कों की हालत भी बहुत सही नहीं है। लखनऊ से दिल्ली को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इज्जतनगर रेल मंडल में दो प्रमुख वर्कशाप हैं। एक डीजलशेड और दूसरा कोच वर्कशाप। यहां इनकी मरम्मत पूरी तरह होती है। इतना ही नहीं, रेल बस जैसे कोच भी यहां बनाए जा चुके हैं। इस लिहाज से लोको फैक्ट्री और कोच फैक्ट्री की यहां अपार संभावनाए हैं। इसको विस्तार देने की मांग भी हो रही है। बरेली की खास बातें बरेली, उत्तर प्रदेश का एक शहर है। रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था। 1537 में स्थापित इस शहर का निर्माण मुगल प्रशासक 'मकरंद राय' ने करवाया था। यहां पर एक फ़ौजी छावनी है। यह 1857 में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ हुए भारतीय विद्रोह का एक केंद्र भी था। बरेली में ही अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा का घर भी है। बालीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी इसी शहर से आती हैं। बरेली का झुमका पूरे भारत में प्रसिद्ध है। धोपेश्वर नाथ, दरगाह आला हजरत, पशुपति नाथ, तपेश्वरनाथ यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। दिल्ली से बरेली की दूरी 306 किलोमीटर और लखनऊ से 247 किलोमीटर है।