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चुनाव तारीख: 20 मई 2024
कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति में पटखनी देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह फतेहपुर लोकसभा से ही वर्ष 1989 में जीते थे। जब वह तिंदवारी विधानसभा जीतकर मुख्यमंत्री बने, तब वह सीट इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा थी। गंगा के किनारे बसे इस शहर की संसदीय क्षेत्र में हमेशा कांग्रेस काबिज रही। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हरिकिशन शास्त्री यहां से दो बार सांसद रहे हैं। वर्ष 1989 के बाद से यहां सपा और बसपा में लड़ाई होती रही है। भाजपा को 2014 के अलावा 1993 में रामलहर के दौरान यहां सफलता मिली थी। इसके बाद भाजपा 2019 में भी चुनाव जीतने में सफल रही। विधानसभा, विकास और स्थानीय मुद्दे इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें, फतेहपुर, बिंदकी, जहानाबाद, अयाशाह हसवा, खागा और हुसैनगंज हैं। पहली बार ऐसा है कि सभी भाजपा विधायक हैं। बीते सालों में विकास कार्य के नाम पर कुछ नहीं हुआ। अतिक्रमण हटाकर फतेहपुर को नया करने की कोशिश कर रहे डीएम के तबादले से लोगों में रोष है और अधूरे विकास कार्य चुनावी मुद्दा हो सकते हैं। इस शहर में सीवर लाइन नहीं है। वीपी सिंह ने जरूर कोशिश की लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ी। यहां विकास के बजाए जाति को ज्यादा प्रमुखता देते हैं। फतेहपुर की खास बातें फतेहपुर, उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। गंगा और यमुना के तट पर स्थित, फतेहपुर का अर्थ पुराणिक साहित्य में किया गया था। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मंडल का हिस्सा है और इसका मुख्यालय फतेहपुर शहर है। इस जिले के उत्तर में गंगा और दक्षिणी में यमुना नदी है। बावनी इमली और ओम घाट फतेहपुर के दो प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। फतेहपुर के दो बड़े बाजार हैं एक चौक और दूसरा असोथर। लखनऊ से फतेहपुर की दूरी 121.5 किलोमीटर है और दिल्ली से दूरी 572.2 किलोमीटर है।