फेज: 4
चुनाव तारीख: 13 मई 2024
भगवान महाकाल की नगरी और मध्य प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन का लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। 17 में से 12 लोकसभा चुनावों में यहां भाजपा या इसके मातृ संगठन जनता पार्टी व भारतीय जनसंघ के प्रत्याशियों को जीत मिली। इसकी नींव वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही पड़ गई थी।
तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर मतदाताओं ने कांग्रेस को नकारना शुरू कर दिया था। जनसंघ के बाद भाजपा ने इस लोकसभा क्षेत्र में लगातार अपना परचम लहराया। भाजपा के दिग्गज नेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने उज्जैन के खूब दौरे किए। अटलजी की सभाएं हुईं। उज्जैन की बड़नगर तहसील में उन्होंने कुछ समय स्कूली शिक्षा भी प्राप्त की थी।
वर्ष 1977 में विदेश मंत्री रहते जब अटल बिहारी वाजपेयी उज्जैन आए थे तो उन्होंने क्षीरसागर में सभा ली थी। इसे धर्मधानी का प्रभाव ही कहना उचित होगा कि उन्होंने साफगोई से कहा था कि हम वर्षों से विपक्ष की राजनीति करते आ रहे हैं। अभी-अभी सत्ता में आए हैं। सत्ता में आने के बाद कुछ अजीब सा माहौल नजर आ रहा है।
ये झुकी-झुकी नजरें, ये लंबे-लंबे सलाम, ये गाड़ियों का काफिला, कहीं हमारा दिमाग खराब न कर दे। सत्ता तो काजल की कोठरी है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि जब हम सत्ता से बाहर आएं तो इस सफेद कुर्ते पर कोई काला दाग नहीं आना चाहिए।
जनसंघ ने वर्ष 1967 में यहां से पहला चुनाव जीता। हुकुमचंद कछवाय, फिर फूलचंद वर्मा और फिर डा. सत्यनारायण जटिया ने मतदाताओं के मन में विश्वास के बीज बोकर कांग्रेस को ऐसे उखाड़ फेंका कि बाद के 13 चुनावों में सिर्फ दो बार वर्ष 1984 और 2009 में ही कांग्रेस प्रत्याशी यहां से जीत सके।
श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय यहां भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को उम्मीदवार तय करने में ही पसीना आ जाता था। अटलजी का भाषण सुनने के लिए आसपास के जिलों से भी लोग आते थे। तभी से उज्जैन प्रचार-प्रसार के लिए मुख्य केंद्र बन गया।
संभागीय मुख्यालय होने के नाते यहां से शाजापुर, देवास, रतलाम, मंदसौर जैसे क्षेत्र भी साधने की रणनीति चलती आई। इसका असर चुनाव परिणामों पर भी स्पष्ट दिखाई देता है। उज्जैन से भाजपा के अनिल फिरोजिया सांसद हैं। उन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तीन लाख 65 हजार वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय को हराया था।
पीएम मोदी बता चुके हैं भारत की आस्था का केंद्र
अक्टूबर, 2022 में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नव विस्तारित क्षेत्र श्री महाकाल महालोक का लोकार्पण करने उज्जैन आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा में कहा था कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। उज्जैन भारत की आस्था का केंद्र है। यहां के कण-कण में आध्यात्म है। उज्जैन भारत की भव्यता के नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है।
1967 में सीट एससी के लिए आरक्षित हुई, डा. जटिया सात बार जीते
वर्ष 1967 में उज्जैन-आलोट संसदीय सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित हुई थी। परिसीमन के बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई। इसके बाद अगले तीन चुनाव में भी कांग्रेस को लगातार हार मिली थी। वर्ष 1984 में कांग्रेस के सत्यनारायण पंवार चुनाव जीते थे पर अपनी जीत को वे अगली बार वर्ष 1989 के चुनाव में दोहरा नहीं पाए।
उज्जैन लोकसभा सीट से सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का रिकार्ड डा. सत्यनारायण जटिया के नाम है। उन्होंने पहला चुनाव वर्ष 1980 में जनता पार्टी के टिकट से लड़कर जीता था। इसके बाद वर्ष 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 का लोकसभा चुनाव लगातार जीता। वर्ष 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने हरा दिया था। हालांकि अगले चुनाव में भाजपा के चिंतामणी मालवीय ने उन्हें हराकर हिसाब बराबर कर दिया था।
कवि प्रदीप, पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास, शिवमंगल सिंह सुमन के आदर्शों को जीता है उज्जैन
उज्जैन यहां पले-बढ़े ख्यात गीतकार प्रदीप, पद्मभूषण ज्योतिषाचार्य पं. सूर्यनारायण व्यास, कवि डा. शिवमंगल सिंह सुमन, संस्कृत विद्वान पद्मश्री महामहोपाध्याय डा. केशवराव सदाशिव शास्त्री मुसलगांवकर के आदर्शों को जीता है।
उज्जैन अनादिकाल से कई महान लोगों की जन्म और कर्म स्थली रही है। भगवान श्रीकृष्ण यहां शिक्षा ग्रहण करने आए थे। चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य उज्जैन के ही राजा हुआ करते थे जिन्होंने विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में शकों को हराने के बाद की थी। मगध के राजा सम्राट अशोक, महाकवि कालिदास का भी उज्जैन से गहरा नाता रहा है।
उज्जैन से प्रदेश को मिला मुख्यमंत्री इसलिए प्रतिष्ठा का भी विषय
उज्जैन संसदीय क्षेत्र में शामिल उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के विधायक डा. मोहन यादव अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में भाजपा के लिए इस सीट का लोकसभा चुनाव जीतना इस बार और प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। संसदीय क्षेत्र की आठ सीटों में से छह भाजपा के खाते में है।
शेष दो तराना और महिदपुर कांग्रेस के पास हैं। विशेष बात यह है कि भाजपा ने वर्ष, 2022 में उज्जैन नगर निगम का चुनाव जीता था। फिर वर्ष 2023 में आठ में से छह विधानसभा सीटें जीतकर अपनी बढ़ती ताकत का अहसास विरोधी दलों को करवा दिया। इस जीत से भाजपा काफी उत्साहित है। दोनों ही चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने रख लड़े गए थे।