फेज: 2
चुनाव तारीख: 26 अप्रैल 2024
कांग्रेस ने अर्जुन सिंह को होशंगाबाद से लगातार तीन बार से जीत रहे भाजपा के सरताज सिंह को पराजित करने उतारा था। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह का प्रचार का तरीका इतना प्रभावी था कि जनता के बीच बाबूजी के नाम से लोकप्रिय सरताज सिंह की पुरानी जीप की आवाज दबी हुई सी मालूम होती थी। जब परिणाम आए तो राजनीति के जानकार चौंक गए। जनता ने अर्जुन सिंह के मुकाबले सरताज सिंह को चुना था।
कामथ जैसे दिग्गज कर चुके प्रतिनिधित्व
यह किस्सा होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र और यहां की राजनीति की दशा-दिशा समझने की इच्छा रखने वालों के लिए राजनीति की मोटी किताब का एक पन्ना भर है। नर्मदा कछार के इस क्षेत्र की राजनीति कभी सरल रही तो कभी अबूझ और जटिल। देश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां संसदीय इतिहास की शुरुआत भले ही 1957 में कांग्रेस के मगनलाल बागड़ी के चुने जाने से हुई हो लेकिन एक उपचुनाव के बाद 1962 में ही यहां की जनता से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरि विष्णु एचवी कामथ को चुन लिया। संविधान सभा के सदस्य रह चुके एचवी कामथ वर्ष 1977 में फिर भारतीय लोकदल के टिकट पर यहां से चुने गए। एचवी कामथ सिविल सेवा के अधिकारी भी रह चुके थे और चोटी के विद्वान थे। उनकी विद्वता देखकर ही पं. जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें संविधान सभा के लिए चुना। एचवी कामथ किसी को बख्शने वाले भी नहीं थे। उन्होंने न केवल संसद में कई बार महत्वपूर्ण संशोधन से लेकर अन्य प्रस्ताव लाकर अपना सिक्का जमवाया बल्कि स्वतंत्रता दिवस पर आधी रात के विशेष भाषण में भी वे राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद तक को टोकने से नहीं चूके थे। एचवी कामथ के संसदीय इतिहास पर विभिन्न भाषणों पर कई विद्यार्थी शोध तक कर चुके हैं।
शरद यादव की जन्मस्थली
नरसिंहपुर से लेकर नर्मदापुरम तक नर्मदा नदी के बहाव के साथ फैले होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में अपवाद छोड़ दें तो उद्योगों जैसा कुछ नहीं है। कस्बों और गांवों में फैले इस संसदीय सीट की बड़ी आबादी मां नर्मदा के आंचल में खेती-किसानी करती है। स्व. माखनलाल चतुर्वेदी, भवानीप्रसाद मिश्र और हरिशंकर परसाई जैसे साहित्य की विभूतियों से लेकर ओशो जैसे विचारकों को पुष्पित-पल्लवित करने वाली मिट्टी राजनीति के लिए भी उपजाऊ है। माखननगर के आंखमऊ गांव में जन्मे शरद यादव ने यहीं से पढ़ाई की और आगे चलकर देश की राजनीति में अपना स्थान बनाया। नरसिंहपुर से नीतिराज चौधरी कांग्रेस से सांसद बने तो गाडरवारा से निकले रामेश्वर नीखरा भी सांसद चुने गए। उनकी गिनती प्रदेश के बड़े नेताओं में तो थी ही वे कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। इसी नरसिंहपुर से ठाकुर निरंजन सिंह जैसे भी नेता निकले जो पहली विधानसभा मध्य प्रांत सीपी बरार की विधानसभा में पं. रविशंकर शुक्ल के सामने विपक्ष के नेता थे। वे बाद में दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे।
जातिगत आधार पर कभी नहीं बंटे मत
होशंगाबाद-नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र की एक बड़ी विशेषता यह भी रही है कि यहां का वोट बैंक कभी जातीय आधार नहीं बंटा। जब रामेश्वर नीखरा यहां से चुने जाते थे तब उनके अग्रहरि बनिया समाज के मतदाता बेहद कम थे। रामेश्वर नीखरा वर्ष 1980 और 1984 में जीते। इसी तरह पूरे इलाके में सिख बाहुल्य एक वार्ड तक नहीं होने के बावजूद सरताज सिंह ने लगातार चार बार जीत दर्ज की। वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। जैन परिवार कम होने के बावजूद श्वेतांबर जैन सुंदरलाल पटवा ने राजकुमार पटेल को पटखनी देकर जीत हासिल की। बात केवल जातिवाद की नहीं है बल्कि मतदाताओं की समझ की भी है। भाजपा का गढ़ बनने के बाद वर्ष 2009 में जब भाजपा ने उदयपुरा के रामपाल सिंह को मैदान में उतारा तो जनता ने कांग्रेस से सांसद के रूप में इसी क्षेत्र के निवासी राव उदयप्रताप को चुना। बाद में राव उदयप्रताप सिंह भाजपा में शामिल हुए और दो बार से लगातार जीत हासिल की।
8 विधानसभा क्षेत्र
होशंगाबाद, सिवनी-मालवा, सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवारा, नरसिंहपुर, तेंदुखेड़ा, उदयपुरा
कुल मतदाता- 17,88,556
पुरुष मतदाता- 9, 23,854
महिला मतदाता- 8,64, 650
थर्ड जेंडर- 52