फेज: 2
चुनाव तारीख: 26 अप्रैल 2024
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र अपने ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के मंदिरों व स्थापत्य के लिए विशेष पहचान रखता है। यहां प्राकृतिक संसाधन भी भरपूर हैं। पन्ना जिले की जमीन से हीरा भी निकाला जाता है और वह लोगों की किस्मत बदलता है। खजुराहो लोकसभा सीट अलग-अलग कालखंड में भाजपा और कांग्रेस के पाले में आती-जाती रही है। हालांकि इस सीट पर भाजपा का प्रभाव ज्यादा रहा क्योंकि इसने देश की राजनीति को उमा भारती जैसा चेहरा दिया। वे लगातार चार बार यहां से सांसद रहीं। कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को करारी शिकस्त देकर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनीं।
यहां से सांसद बनने वाले कई नेताओं ने देश-प्रदेश की राजनीति में अपना स्थान बनाया। इन बड़े चेहरों में कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी और भाजपा की उमा भारती व विष्णु दत्त शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। खजुराहो सीट पर शुरुआती दबदबा कांग्रेस का हुआ करता था लेकिन वर्ष 1989 के बाद लगातार चार बार सांसद चुनी गईं उमा भारती ने खजुराहो सीट को भाजपा के गढ़ में बदल दिया। वर्ष 1999 के चुनाव को छोड़कर बाद में भी भाजपा प्रत्याशी ही सांसद चुने गए।
स्वतंत्रता के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं थी। दूसरे चुनाव वर्ष 1957 में छतरपुर जिले की चार और टीकमगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों को मिलाकर खजुराहो लोकसभा सीट बनाई गई। वर्ष 1967 व 1971 के चुनाव में भी खजुराहो स्वतंत्र सीट नहीं रही। क्षेत्र का बड़ा हिस्सा टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में रहा। वर्ष 1977 के बाद से खजुराहो स्वतंत्र सीट के रूप में कायम है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से पहले खजुराहो लोकसभा सीट में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले की आठ विधानसभा सीटें शामिल थीं। परिसीमन के बाद इसमें छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले की कई विधानसभा सीटें जुड़ गईं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से इसका यह स्वरूप अभी तक है।
कांग्रेस से चतुर्वेदी परिवार का रहा दबदबा, मां के बाद बेटा भी बना सांसद
इस सीट पर कांग्रेस से पंडित राम सहाय सांसद रह चुके हैं। वर्ष 1980 में कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी यहां से सांसद चुनी गईं। इसके बाद खजुराहो लोकसभा सीट पर चतुर्वेदी परिवार का प्रभाव बढ़ गया। वर्ष 1984 में भी विद्यावती ही सांसद चुनी गईं। 1989 से 1998 तक इस सीट पर उमा भारती सांसद रहीं। विद्यावती चतुर्वेदी के पुत्र सत्यव्रत चतुर्वेदी कांग्रेस के नए तेजतर्रार चेहरे के रूप में सामने आए और वर्ष 1999 में इसी सीट से लोकसभा चुनाव भी जीता। दोनों ने कई बार विधानसभा चुनाव भी जीता। सत्यव्रत चतुर्वेदी राज्यसभा सदस्य भी रहे।
सख्त विद्यावती इंदिरा गांधी की तरह ही लेती थीं निर्णय
पूर्व विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता जुझार सिंह बताते हैं कि विद्यावती चतुर्वेदी की छवि एक तेजतर्रार नेता के रूप में रही। जब मंच पर होती थीं तब खुले रूप से अपनी बात कहती थीं। अन्य नेताओं का सम्मान भी वह खूब करती थीं। निर्णय लेने के मामले में इंदिरा गांधी की तरह ही त्वरित थीं।
कटनी को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला
इस लोकसभा सीट का हिस्सा कटनी जिला प्रदेश में राजस्व व व्यापार के मामले में प्रमुख स्थान रखता है लेकिन यहां के लोग प्रतिनिधित्व के मामले में उपेक्षा की शिकायत करते हैं। दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस व भाजपा ने जिले को लोकसभा में प्रतिनिधित्व नहीं दिया है। पहले कटनी दमोह व सतना लोकसभा क्षेत्र से जुड़ा रहा, फिर जबलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा रहा। स्थानीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग को लेकर ही पिछले लोकसभा चुनाव में कटनी की मुड़वारा विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व विधायक गिरिराज किशोर पोद्दार निर्दलीय मैदान में उतर गए थे। हालांकि उन्हें काफी कम वोट मिले थे।
खजुराहो संसदीय क्षेत्र में शामिल 8 विधानसभा क्षेत्र
चंदला, रामनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद
कुल मतदाता : 18,31,837
पुरुष मतदाता : 9,65,170
महिला मतदाता : 8,66,641
थर्ड जेंडर : 26