फेज: 1
चुनाव तारीख: 19 अप्रैल 2024
मंडला लोकसभा क्षेत्र में कान्हा नेशनल पार्क और राष्ट्रीय फासिल्स पार्क स्थित होने से इसकी देश-प्रदेश में विशेष पहचान है। अनुसूचित जनजाति एसटी वर्ग के लिए आरक्षित यह क्षेत्र स्वतंत्रता के बाद से ही लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा। आपातकाल के बाद वर्ष 1977 का अपवाद छोड़ दें तो वर्ष 1991 तक के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने ही बाजी मारी। इसके बाद भाजपा ने यहां पर अपनी पैठ बनाई। वर्ष 1996 से अब तक भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जरूर उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम से पराजय मिली थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से मोदी लहर के चलते यह संसदीय क्षेत्र फिर भाजपा के पास आ गया। संसदीय क्षेत्र में शामिल कुल आठ विधानसभा क्षेत्र में से छह विधानसभा सीटें डिंडौरी, शहपुरा, मंडला, निवास, बिछिया व लखनादौन एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
आदिवासी और महिला मतदाताओं का ज्यादा प्रभाव
मंडला संसदीय क्षेत्र में 52 प्रतिशत से अधिक मतदाता एसटी वर्ग के हैं। ये हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। मंडला और डिंडौरी जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों में महिला मतदाता पुरुषों की तुलना में करीब 12 हजार से अधिक हैं। शेष विधानसभा सीटों में महिलाओं मतदाताओं की संख्या भी पुरुषों के मुकाबले 13,858 ही कम है।
तीन नेताओं का रहा दबदबा
स्वतंत्रता के बाद हुए लोकसभा चुनावों में मंडला सीट की राजनीति तीन नेताओं कांग्रेस के मगरू गनु उइके, मोहनलाल झिकराम और भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। वर्ष 1952 से 1971 तक के चुनावों में लगातार कांग्रेस के मंगरू गनु उइके इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। 1977 में जनता पार्टी के श्यामलाल धुर्वे ने भारतीय लोकदल के टिकट पर जीत दर्ज की, लेकिन वर्ष 1980 से वर्ष 1991 तक के चुनावों में यहां कांग्रेस का ही उम्मीदवार बाजी मारता रहा। कांग्रेस के मोहनलाल झिकराम चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद से फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी मैजिक के सहारे इसे अपना मजबूत गढ़ बनाए हुए हैं। हालांकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते जीत नहीं पाए। चुनाव के दौरान ग्रामीण अंचलों में कुलस्ते के समर्थकों ने उनके मुख्यमंत्री या फिर उप मुख्यमंत्री बनने की बात कहकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें इससे समर्थन नहीं मिला।
निजी स्कूल शिक्षक से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला संसदीय क्षेत्र से अब तक छह बार सांसद निर्वाचित होकर अलग-अलग विभागों के केंद्रीय मंत्री का दायित्व भी संभाल चुके हैं। वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004, 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवारों को हराया। मंडला जिले के छोटे से गांव बावलिया निवासी फग्गन सिंह कुलस्ते गांव में ही एक निजी स्कूल में शिक्षक थे। इसके बाद भाजपा से टिकट मिलने पर विधानसभा चुनाव में जीते और अब भाजपा में बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते वर्ष 2004 और 2010 दो कार्यकाल में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं।
गडकरी की माफी से चर्चा में आया था मंडला
नवंबर, 2022 में जबलपुर-मंडला सड़क निर्माण में लापरवाही पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंच से माफी मांगी थी। गडकरी ने निर्माण के बचे काम को लेकर एजेंसी को निलंबित करने का भी निर्देश दिया। जबलपुर-मंडला के बीच बन रही टू-लेन सड़क निर्माण के काम पर उन्होंने नाखुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि बरेला से मंडला तक 400 करोड़ रुपये की लागत से 63 किमी का टू-लेन रोड बन रहा है, इससे संतुष्ट नहीं हूं। अगर गलती है तो इसके लिए माफी भी मांगनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि पुराने काम की मरम्मत करो, नया टेंडर निकालो। जल्दी यह रोड अच्छा और पूरा करके दो। अभी तक जनता को जो असुविधा हुई है, इसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं।
कुलस्ते ने भी संसद में लहराए थे नोट
वर्ष 2008 में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार से वामदलों ने समर्थन वापस ले लिया था। संसद में विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान भाजपा के तीन सांसदों ने एक करोड़ रुपये के नोटों की गड्डियां दिखाई थीं। उनका आरोप था कि मनमोहन सरकार ने एक दिग्गज नेता के माध्यम से उनके मत को खरीदने की कोशिश की थी। इन सांसदों में फग्गन सिंह कुलस्ते भी शामिल थे।
कुल मतदाता- 20,74,957
पुरुष मतदाता- 10,38,216
महिला मतदाता-10,36,706
थर्ड जेंडर- 35
8 विधानसभा क्षेत्र
मंडला, बिछिया, निवास, डिंडौरी, शहपुरा, गोटेगांव, लखनादौन और केवलारी।