फेज: 3
चुनाव तारीख: 7 मई 2024
छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर पर झारखंड व उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा सरगुजा लोकसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य होने के कारण अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां दो लोकसभा चुनाव 1951 व 1957 में दो-दो सांसद निर्वाचित हुए। 1962 से यह क्षेत्र अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है। खनिज संपदाओं से भरे लेकिन उद्योग विहीन एवं रेल सुविधाओं से विहीन क्षेत्र के रूप में विख्यात सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में अब भी सरगुजा राजपरिवार की धमक बरकरार है। आजादी के बाद दो चुनावों में यहां राजपरिवार के सीएस सिंहदेव ने सामान्य सीट पर जीत दर्ज की। कांग्रेस के सभी सांसद राजपरिवार की छत्रछाया में जीते एवं चले भी। मूलत: कृषि बाहुल्य सरगुजा क्षेत्र में अब तक लरंगसाय ही ऐसे सांसद हुए, जिन्होंने सरगुजा की आवाज दिल्ली में बुलंद की। अंबिकापुर तक रेल सेवा के लिए उन्हें ही जाना जाता है। अन्य सांसद सिर्फ नाम के ही साबित हुए। सरगुजा की जनता अब क्षेत्र के लिए तेज-तर्रार प्रतिनिधित्व की हिमायती है। संभवत: इस कारण दोनों प्रमुख दलों को टिकट भी तय करने से पहले विचार करना होगा। यहां गोंड समाज का बाहुल्य है। इसके तहत आठ विधानसभा सीटें हैं। इनमें अंबिकापुर, लुंड्रा, सीतापुर, सामरी, रामानुजगंज, प्रतापपुर, भटगांव एवं प्रेमनगर विधानसभा सीटें प्रमुख हैं। यहां से अजजा वर्ग से सर्वाधिक बार गोंड़ समाज ने सरगुजा का प्रतिनिधित्व किया है। विकास का हाल और स्थानीय मुद्दे सरगुजा लोकसभा क्षेत्र छत्तीसगढ़ का पिछड़ा एवं उद्योगविहीन क्षेत्र माना जाता है। यहां के अधिकांश इलाकों में अब भी विकास की दरकार है। पिछले पांच वर्षों तीन राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण एवं पुन: निर्माण की स्वीकृति मिली है। पीएम आवास एवं शत प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाने के कार्य हुए। एक नई ट्रेन की सौगात भी मिली है। सरगुजा में एक एनएच की हालत जर्जर है। पीएमजीएसवाई सड़कों की दुर्दशा हो गई है,जिनके मरम्मत की राशि स्वीकृत हुई है। सरगुजा जिले में रेलवे सुविधाओं की कमी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। सरगुजा मुख्यालय से वर्तमान में सिर्फ चार ट्रेनें चलती हैं। इनमें एक दुर्ग तक, एक जबलपुर तक एवं दो ट्रेनें शहडोल तक हैं। वहीं राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में लेट लतीफी, पीएमजीएसवाई सड़कों की दुर्दशा एवं नए उद्योगों के लिए पहल नहीं होना चुनावी मुद्दा होगी। सरगुजा में हाथियों की समस्या तथा कोयला खदानों के लिए भूमि अधिग्रहण भी चुनावी मुद्दा होगा। सरगुजा की खास बातें सरगुजा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में होने के कारण सभी प्रशासनिक कार्यालय भी यहीं हैं। यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है। इस क्षेत्र से उत्तरप्रदेश राज्य और झारखंड राज्य की सीमाएं जुड़ती हैं। प्राचीन समय से सरगुजा को कईं नामों से जाना जाता रहा है। रामायण काल में इसे दंडकारण्य और दशवीं शताब्दी में इसे डांडोर के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र के देवगढ़ में प्राचीन समय में ऋषि यमदग्नि साधना करते थे। यहां शिव मंदिर के शिवलिंग के मध्यभाग पर शक्ति स्वरुप पार्वती जी नारी रूप में अंकित हैं। इस शिवलिंग को शास्त्रों में अर्द्ध नारीश्वर की उपाधि दी गई है।