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चुनाव तारीख: 7 मई 2024
छत्तीसगढ़ की पूर्वांचल लोकसभा सीट पूर्व में 2009 से पूर्व रायगढ़ लोकसभा सीट जशपुर के चार और रायगढ़ से चार विधानसभा जोड़ कर बनी थी। उस समय राजपरिवार के इर्दगिर्द ही संसदीय राजनीति घूम रही थी। 1962 में राजा विजय भूषण सिंह देव पहली बार सांसद रहे, जो दिलीप सिंह जूदेव के पिता थे। उसके बाद 1967 में सारंगढ़ राजघराने की बड़ी पुत्री रजनी देव 1967 में सांसद बनीं और उनकी छोटी बहन पुष्पा देवी सिंह 1980, 1984,1991 में कांग्रेस से सांसद चुनी गईं। 1977 में कंवर समाज के आदिवासी नेता नरहरि प्रसाद साय जनता पार्टी से पहले सांसद बने और केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। उसके बाद उनके भतीजे विष्णु देव साय 1999 से लगातार 2014 तक सांसद रहे। इस लोक सभा मे छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी 1998 में और आदिवासी नेता नंदकुमार साय 1989 और 1996 में सांसद रहे चुके हैं। 2009 के बाद जशपुर के तीन और रायगढ़ के पांच सीट मिलाकर रायगढ़ लोकसभा सीट बना हैं। रायगढ़ लोकसभा के आठ विधानसभा में कंवर राठिया/साय समाज के करीब 3 लाख मतदाता हैं। तथा दूसरे नम्बर पर गोड़ सिदार जाति के करीब 1.5 लाख हैं तथा उरांव मतदाता भी 1.5लाख हैं। रायगढ़ की खास बातें रायगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। 1952 में हुए पहले लोकसभा निर्वाचन में यह संसदीय क्षेत्र नहीं था, बाद में 1957 के चुनावों में यह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस क्षेत्र से महानदी बहने और जंगल, पहाड़ियों के चलते प्राकृतिक सौंदर्य भरा हुआ है। महाराज मदन सिंह ने इस क्षेत्र का बसाया था। मदन सिंह के बाद उनके उत्तराधिकारी तखत सिंह, बेत सिंह, दिलीप सिंह, जुझार सिंह, देवनाथ सिंह, घनश्याम सिंह, भूपदेव सिंह और चक्रधर सिंह राजा बने। यहां सिंघनपुर, ओगना, करमागढ़ की पहाड़ियों और रायगढ़ के समीप कबरा पहाड़ प्रागैतिहासिक युग के मनुष्योंके बनाए शैलचित्र पाये गये हैं। इस क्षेत्र में सिंघनपुर पहाड़ी के पास राम झरना नामक मनोरम स्थान पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भगवान राम वनवास के समय आए थे और इस झरने का जल ग्रहण किया था।