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चुनाव तारीख: 19 अप्रैल 2024
टिहरी लोकसभा क्षेत्र टिहरी, उत्तरकाशी व देहरादून जनपद की 14 विधानसभा सीटों को मिलकर बना है। धार्मिक और ऐतिहासिकता को लेकर इस सीट का अपना महत्व है। इस लोकसभा क्षेत्र में लाखमंडल, गंगा का उद्गम स्थल गोमुख, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम तथा दुनियां का आठवां सबसे बड़ा टिहरी बांध स्थित हैं। स्वामी रामतीर्थ की तप स्थली और श्रीदेव सुमन की कर्मस्थली टिहरी ही रही है। लोकसभा सीट की सीमा भारत-चीन सीमा से लगी है। टिहरी राज्य का आजादी के बाद भारत में विलय होने के बाद भी लोस चुनाव में राजशाही का दबदबा रहा। 10 आम चुनावों में राजशाही परिवार के सदस्य ही सांसद चुने गए। इस सीट की जनसंख्या 1923454 2011 और साक्षरता दर 78.2 फीसद है। विधानसभाएं, विकास और मुद्दे विकास के मामले में आलवेदर रोड निर्माण पर काम चल रहा है। स्थानीय मुद्दों में विस्थापन, ईकोसेंसिटिव जोन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि शामिल हैं। यहां होने वाली घटनाओं में भूस्खलन, आगजनी, सड़क दुर्घटनाएं हैं। टिहरी गढ़वाल की खास बातें टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र उत्तराखंड के पांच लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। 1957 में यह संसदीय क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आया। इस लोकसभा सीट को उत्तरकाशी, देहरादून और टिहरी गढ़वाल जिले के कुछ हिस्सों को शामिल कर बनाया गया है। टिहरी और गढ़वाल दो अलग नामों को मिलाकर इस जिले का नाम रखा गया है। इस इलाके को गणेश प्रयाग नाम से भी जाना जाता है। टिहरी में राजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी बनाई। पर्वतों के बीच स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता में डूबा हुआ है। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बुदा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं।