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चुनाव तारीख: 19 अप्रैल 2024
वीरों की धरती है गढ़वाल संसदीय सीट। बावन गढ़ों वाली यह सीट हिंदुओं के पवित्र तीर्थ बद्रीनाथ से शुरू होकर पवित्र धाम केदारनाथ के साथ ही सिक्खों के पवित्र हेमकुंड साहिब से होते हुए मैदान की ओर उतरती है और तराई में रामनगर व कोटद्वार पहुंचकर समाप्त होती है। हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता देने वाली इस सीट पर 1991 से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व रहा है। 1996-1998 के दौरान ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस तिवारी से और 2009-2014 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सतपाल महाराज इस सीट पर विजयी रहे, जबकि 1998 से अब तक भुवनचंद्र खंडूरी पांच बार यहां से सांसद चुने जा चुके हैं। सातवीं लोकसभा चुनाव में गढ़वाल संसदीय सीट उस वक्त काफी चर्चा में रही, जब हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस का दामन छोड़ जनता पार्टी सेक्युलर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे पूर्व, पहले लोकसभा से चौथे लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस के भक्तदर्शन इस सीट से सांसद रहे, जबकि पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी इस सीट से सांसद रहे थे। 1977 में जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा इस सीट से सांसद बने। 1984 में कांग्रेस आई और 1989 में जनता दल से चंद्रमोहन सिंह नेगी लगातार दो बार इस सीट से सांसद बने। 14-वीं लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए टीपीएस रावत इस सीट से सांसद बने। गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में बद्रीनाथ, केदारनाथ, थराली, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, यमकेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, पौड़ी, श्रीनगर, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, कोटद्वार व रामनगर विधानसभा सीटें शामिल हैं। गढ़वाल लोकसभा सीट में जहां केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण बड़ा मुद्दा है, वहीं श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज को सेना के सुपुर्द किए जाने का मामला भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। गढ़वाल की खास बातें गढ़वाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखंड के पांच संसदीय क्षेत्रों में से एक है। इस लोकसभा सीट को चमोली, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जिलों के इलाकों को मिलाकर गठित किया गया है। इस संसदीय सीट में 14 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। हिमालय की पर्वत श्रंखलाओं और वनों से घिरा यह क्षेत्र साहित्य और संस्कृति में बेहद समृद्ध है। यह क्षेत्र तिब्बत और नेपाल देश से भारत की सीमाएं बांटता है। गढ़वाल को दो भागों पौड़ी गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल में बांटा गया है। चान्दपुर किला, श्रीनगर-मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, पाडुकेश्वर, जोशीमठ के निकट देवी मादिन एवं देवलगढ मंदिर इसी क्षेत्र में हैं।