वाशिंगटन। अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने ट्रंप प्रशासन को भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीति बनाने के लिए कहा है जिसमें अमेरिका के भारत के साथ बढ़ते सैन्य संबंधों की प्रगति परिलक्षित होती हो। इसी दिशा में अमेरिकी कांग्रेस की एक संयुक्त समिति ने भारत जैसे देशों को रूस के रक्षा उद्योग के साथ कारोबार करने पर दंडात्मक प्रतिबंधों से छूट देने का प्रस्ताव रखा है। मालूम हो कि दो साल पहले अमेरिका ने भारत को अपना "सबसे बड़ा रक्षा साझीदार" घोषित किया था।
सीनेट और प्रतिनिधि सभा की सशस्त्र सेवा समिति ने नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए)-2019 पर अपनी ज्वाइंट कांफ्रेंस रिपोर्ट में काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) की धारा 231 में संशोधित छूट का प्रस्ताव रखा है। दरअसल, कांफ्रेंस रिपोर्ट किसी विधेयक का अंतिम संस्करण होती है जिस पर प्रतिनिधि सभा और सीनेट कांफ्रेंस कमेटी के माध्यम से बातचीत करते हैं। मौटे तौर पर सीएएटीएसए छूट अमेरिका को भारत पर प्रतिबंध लगाने से रोकने के लिए है। भारत करीब 4.5 अरब डॉलर की लागत से रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों को खरीदने की योजना बना रहा है।
दोनों समितियों द्वारा कांफ्रेंस रिपोर्ट के विवरण की घोषणा करने के बाद सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रस्तावित संशोधित छूट में राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होगी ताकि अमेरिकी गठबंधन, सैन्य अभियानों और संवेदनशील तकनीक से जुड़े अमेरिकी हितों का बचाव किया जा सके। साफ है कि भारत अगर अब रूस से एस-400 प्रणालियों को खरीदने के अपने फैसले पर आगे बढ़ता है तो प्रस्तावित विधायी संशोधन से ट्रंप प्रशासन को उसे जरूरी छूट प्रदान करने का वैध आधार मिल जाएगा। हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन), विदेश विभाग और भारतीय दूतावास ने सीएएटीएसए के नवीनतम घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इन्कार किया है।
मालूम हो कि वर्तमान "सीएएटीएसए" पर अगस्त 2017 में साइन किए गए थे, जो इस साल जनवरी से प्रभाव में आया। इसके तहत ट्रंप प्रशासन को उन देशों या कंपनियों को दंडित करने का अधिकार है जो रूस के रक्षा या खुफिया क्षेत्र से जुड़ा कोई लेन-देन करता हो। फिलहाल भारत को भी इस लिस्ट में रखा गया है, जिसे अब छूट के दायरे में लाने की बात कही जा रही है।