एजेंसी, काबुल। अफगानिस्तान के तालिबानी शासन में महिलाओं के खिलाफ एक और नियम जारी किया है। इसमें कहा गया है कि महिलाओं को नमाज भी मन ही मन पढ़ना चाहिए। किसी भी महिला द्वारा दूसरी महिला को नमाज पढ़ते हुए सुनना भी अपराध है।
यदि कोई महिला नमाज पढ़ रही है और उसके पास कोई दूसरी महिला है, तो उसे मन ही मन नमाज पढ़ना होगी, ताकि दूसरी महिला उसे सुन न सके।
तालिबान सरकार के मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी ने यह जिम्मेदारी दी है। उनके पास सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई की रोकथाम करने वाले मंत्रालय की जिम्मेदारी है।
ताबिलान सरकार का यह आदेश महिलाओं की प्रार्थनाओं पर केंद्रित है, लेकिन लोगों को डर है कि ऐसे नियम अफगान महिलाओं की सार्वजनिक रूप से स्वतंत्र रूप से बोलने की क्षमता को और सीमित कर सकते हैं और उनके अधिकारों को खत्म कर सकते हैं।
विदेश में रहने वाले अफगान कार्यकर्ताओं ने तालिबान के नए आदेश की निंदा की है और इस कदम को 'लैंगिक रंगभेद की व्यवस्था' बताया है।
अफगानिस्तान में महिलाओं के हकों की आवाज उठाने वाली जोहल अजरा ने कहा, 'पिछले महीने सार्वजनिक रूप से महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश हुई थी, लेकिन ताजा आदेश से साफ है कि तालिबान राज में महिलाओं के अधिकारों के दबाने की कोई सीमा नहीं है।
अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से मिटा दिया है। इनमें 105 से अधिक फरमान शामिल हैं, जिन्हें हिरासत, यौन शोषण, यातना और क्रूरता सहित हिंसक और मनमाने ढंग से लागू किया जाता है। यह अमानवीय और अपमानजनक है। यह महिलाओं और लड़कियों को पत्थर मारने और कोड़े मारने जैसा है। - जोहल अजरा