सऊदी अरब सरकार ने पहली बार मुस्लिमों के पवित्र धर्मस्थल मक्का के प्राचीन काले पत्थरों की तस्वीरें दुनिया के सामने पेश की हैं। सऊदी अरब की शाही मस्जिद और पैगंबर मस्जिद की तरफ से ये तस्वीरें जारी की गई हैं। अल-हजर अल-असवाद या काले पत्थर की ये तस्वीरें 49 हजार मेगापिक्सल की हैं। इन्हें खींचने और बनाने में 50 घंटे लगे। अकेले पत्थर की फोटो खींचने में ही 7 घंटे लग गए। इस दौरान कुल 1050 फोटो लिए गए। सभी फोटो 160 GB के हैं।
काबा के इस काले पत्थर की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड की गई थी। यहां आते ही फोटो तेजी से वायरल हो गई। सऊदी अरब में #Blackstone ट्रेंड भी करने लगा। लोगों ने पहली बार इस पत्थर की फोटो देखी और उन्हें जमकर शेयर किया।
Technical Information
Shooting Time: 7 hours.
Number of Photos: 1050 Fox Stack Panorama.
Image Resolution: 49,000 Mega Pixels.
Processing Time: More Than 50 Working Hours. https://t.co/E9xktWDGJr pic.twitter.com/MOUWWJZbHA
— 𝗛𝗮𝗿𝗮𝗺𝗮𝗶𝗻 (@HaramainInfo) May 3, 2021
फॉक्स स्टैक पैनोरमा तकनीक से खींची तस्वीरें
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के प्राधिकरण ने मीडिया को बताया कि इन फोटो को खींचने के लिए फॉक्स स्टैक पैनोरमा नामक एक विशेष तकनीक का उपयोग किया गया है, इसमें फोटो को शार्प बनाने के लिए अलग-अलग फोकस प्वाइंट के साथ कई तस्वीरें निकाली जाती हैं और उन्हें जोड़ दिया जाता है।
#رئاسة_شؤون_الحرمين توثق الحجر الأسود بتقنية (Focus Stack Panorama)
ماهي هذه التقنية ؟
هي تقنية يتم فيها تجميع الصور بوضوح مختلف، حتى تنتج لنا صورة واحدة بأكبر دقة. pic.twitter.com/n0mWCPAw1r
— رئاسة شؤون الحرمين (@ReasahAlharmain) May 3, 2021
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के इस्लामिक अध्ययन मामलों के शोधकर्ता अफीफी अल अकीती इस रिसर्च का हिस्सा नहीं थे। उनका इस मामले में कहना है कि "यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अप्रत्याशित है। तस्वीरों को देखकर लग रहा है कि यह वास्तव में काला नहीं है। ऐसा पहली बार है कि छोटे से काले पत्थर की हर चीज को बड़ा करके डिजिटल तस्वीर सामने आई है। इस्लाम में इसे पवित्र चीज माना जाता है। लेकिन, मुस्लिम रीति रिवाजों के पीछे कोई ना कोई कारण होता है। ऐसी तस्वीरें इससे पहले कभी नहीं देखी गई। मेरा मानना है कि मुसलमान जमीन से जुड़े होते हैं और उनके धर्म में विज्ञान अहम रोल अदा करता है।
धरती से 1.5 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है पत्थर
यह पत्थर काबा के दक्षिण पूर्व हिस्से में स्थित है। इसका रंग हल्का सा लाल और काला है। अंडे के आकार के इस पत्थर का डाइमीटर 30 सेंटीमीटर है। इसे धरती से 1.5 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे एक फ्रेम में रखा गया है, जो पूरी तरह से चांदी का बना हुआ है। हज के समय मुस्लिम इस पत्थर के चारो तरफ परिक्रमा करते हैं और इसे चूमते हैं।
काले पत्थर को चूमते हैं मुसलमान
मक्का दुनियाभर के मुसलमानों के लिए आध्यात्मिक केंद्र है। हर मुस्लिम के लिए कम से कम एक बार हज यात्रा पर जाना अनिवार्य माना जाता है। मुस्लिमों के पवित्र धर्मस्थल काबा पहुंचकर हज यात्री परिक्रमा करते हैं और काबा के पूर्वी कोने में लगे काले पत्थर को चूमते हैं। यह पत्थर देखने में भले ही छोटा है लेकिन इसका बहुत महत्व है। यह पत्थर चारों ओर से चांदी के फ्रेम में जड़ा हुआ है। ताकि, इसे किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।
कहा जाता है कि यह काला पत्थर धरती पर आया धूमकेतु है। कुछ अन्य मान्यताओं में इसे चांद का टुकड़ा भी बताया जाता है। काबा के इस काले पत्थर को सबसे पवित्र माना जाता है, पर इसका जिक्र कुरान में नहीं है। इसके पीछे यह धारणा है कि पैगंबर मोहम्मद साहब के धरती पर से जाने के बाद यह काला पत्थर अस्तित्व में आया। हालांकि हदीस में इस काले पत्थर का जिक्र किया गया है। कई हदीसों में इस पत्थर को जीवित बताया गया है।