Indus Waters Treaty: सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए भारत ने भेजा नोटिस, पाकिस्तान ने अब तक नहीं दिया जवाब
Indus Waters Treaty: सिंधु जल संधि के तहत रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का पानी भारत को मिला था, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब के जल के प्रयोग का अधिकार पाकिस्तान को मिला था।
By Arvind Dubey
Publish Date: Thu, 19 Sep 2024 07:48:49 AM (IST)
Updated Date: Thu, 19 Sep 2024 07:49:44 AM (IST)
भारत ने बीती 30 अगस्त को सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के तहत नोटिस भेजा है। HighLights
- भारत ने कहा है कि परिस्थितियों में मूलभूत बदलाव के चलते समीक्षा जरूरी
- नदियों के जल वितरण पर सहयोग के लिए 19 सितंबर 1960 को हुई थी संधि
- 30 अगस्त के नोटिस का पाकिस्तान की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं
एजेंसी, नई दिल्ली/इस्लामाबाद (Sindhu Jal Sandhi)। भारत और पाकिस्तान के बीच 64 साल पहले सिंधु जल संधि हुई थी। संधि के कारण भारत को अपनी जरूरतें दरकिनार कर पाकिस्तान के लिए हिमालय की नदियों का पानी छोड़ना पड़ा था, लेकिन शायद अब ऐसा न हो।
भारत ने संधि की शर्तों की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। कहा गया है कि बदले हालात में संधि की शर्तों की समीक्षा होना चाहिए। नोटिस में सीमा पार आतंकवाद का भी जिक्र है।
क्या बूंद-बूंद के लिए तरह जाएगा पाकिस्तान
- नोटिस में भारत सरकार ने कहा है कि परिस्थितियों में मूलभूत और अप्रत्याशित बदलाव हुए हैं, जिससे इस समझौते का पुनर्मूल्यांकन जरूरी हो गया है।
- सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि यह नोटिस 30 अगस्त को सिंधु जल समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के तहत भेजा गया है।
- 9 साल के मंथन के बाद भारत-पाक ने 19 सितंबर 1960 को इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। संधि में विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता था।
- इस संधि का मकसद दोनों देशों के बीच बहने वाली विभिन्न नदियों के जल वितरण पर सहयोग और जानकारी का आदान-प्रदान करना है।
- भारत अब पाकिस्तान के लिए पानी छोड़ने के बजाए अपने लिए इस्तेमाल की छूट चाहता है। इस कारण शर्तों में बदलाव की मांग की है।
पाकिस्तान की ओर से प्रतिक्रिया नहीं
नोटिस में भारत ने लिखा है कि जनसंख्या में परिवर्तन, पर्यावरणीय मुद्दे तथा उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता है।
बहरहाल, नोटिस के बाद अब तक पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पाकिस्तान यूएनएससी समेत अन्य मोर्चों पर यह मुद्दा उठाता रहा है। इस संबंध में विश्व बैंक का रुख भी अहम रहेगा। विश्व बैंक ने एक ही मुद्दे पर तटस्थ विशेषज्ञ और आर्बिट्रेशन कोर्ट दोनों को एक साथ सक्रिय किया है। इसे देखते हुए भारत ने संधि के तहत विवाद समाधान तंत्र पर पुनर्विचार करने का भी आह्वान किया है।