लंदन। टाटा स्टील के ब्रिटेन में घाटे में चल रहे कारोबार को बेचने के फैसले से देश हिल गया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस पर चर्चा के लिए कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। बैठक के बाद उन्होंने कहा-"सरकार संकटग्रस्त स्टील उद्योग में हजारों नौकरियां बचाने के लिए सब कुछ करेगी, लेकिन इसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं है।" टाटा स्टील के एलान के बाद खड़े हुए संकट के चलते कैमरन को स्पेन में ईस्टर की छुट्टियां बीच में छोड़कर लंदन लौटना पड़ा है।
कंपनी में यहां करीब 15,000 कर्मचारी हैं। इसके अलावा परोक्ष तौर पर भी हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। कंपनी के पोर्ट टालबोट, रोथरहम, कोर्बी और शॉटन में स्टील प्लांट हैं। नीदरलैंड का इजमुइडेन प्लांट भी इसका हिस्सा है। लेबर यूनियनों ने टाटा स्टील के इस फैसले को बहुत बड़ा औद्योगिक संकट बताया है।
कैमरन ने पत्रकारों से कहा कि हजारों नौकरियों खो देने का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। राष्ट्रीयकरण इस समस्या का समाधान नहीं है, लेकिन सरकार किसी भी संभावना से इन्कार नहीं कर रही है। टाटा स्टील के मुद्दे को को कैमरन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठा सकते हैं। दोनों की शुक्रवार को वाशिंगटन में मुलाकात होने वाली है। ब्रिटेन के मंत्री टाटा स्टील के प्लांटों के भविष्य को सुरक्षित बनाने को लेकर भारी दबाव में हैं।
विपक्षी पार्टी के नेता और शैडो चांसलर जॉन मॅक्डोनेल ने कहा कि ब्रिटेन में कारोबार की लागत यूरोप की तुलना में पांच से सात गुना ज्यादा है। सरकार को सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। इस बजट में सरकार ने कुछ नहीं किया। लेबर पार्टी ने मंत्रियों से संकट दूर करने और स्टील उद्योग की मदद का आग्रह किया।
सरकार की यह है चिंता
बीबीसी के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार चाहती है कि टाटा स्टील प्लांट तब तक बंद नहीं करे, जब तक कि उसे खरीदार नहीं मिल जाता है। सरकार में यह चिंता है कि टाटा ग्रुप ब्रिटेन में अपने प्लांटों को किसी प्रतिस्पर्धी को बेचने की बजाय बंद करना चाहता है।
ब्रिटेन के समक्ष विकल्प
कंपनी को रोजाना 10 करोड़ का घाटा
टाटा स्टील ने ब्रिटेन का पूरा बिजनेस बेचने का फैसला किया है। कंपनी यूरोप में 12 वर्षों से घाटे से बाहर नहीं निकल पाई। पिछले एक साल में उसकी ब्रिटिश यूनिट का प्रदर्शन बेहद खराब हो गया। यहां टाटा स्टील को रोजाना लगभग 10 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। स्टील कीमतों में भारी गिरावट, ऊंची उत्पादन लागत और चीन की ओर से बढ़ती प्रतिस्पर्धा इसकी प्रमुख वजहें हैं। टाटा ने 2007 में 14 अरब डॉलर में कोरस स्टील को खरीदा था। ब्रिटिश कारोबार बेचने से टाटा स्टील के घाटे और कर्ज में कमी आएगी। भारत में कंपनी का कारोबार फायदे में है।