S. Jaishankar Speech at UNGA: ‘अपने कर्मों का फल भुगत रहा पाकिस्तान… खाली करना ही होगा PoK’, पढ़िए यूएन में एस. जयशंकर की स्पीच के हाइलाइट्स
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कश्मीर के हालात की तुलना फिलिस्तीन से की थी। उन्होंने कहा था कि कश्मीर की आवाम भी अपनी आजादी के लिए दशकों से संघर्ष कर रही है। अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में इसका जवाब दिया।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sun, 29 Sep 2024 08:38:05 AM (IST)
Updated Date: Sun, 29 Sep 2024 08:38:05 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर। HighLights
- जयशंकर बोले- पाक का सीमा पार आतंकवाद कभी सफल नहीं होगा
- कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं, जिनके परिणाम घातक होते हैं
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के लिए विदेश मंत्री ने चीन पर भी निशाना साधा
एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र (EAM Jaishankar Speech at UNGA)। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई। एक दिन पहले ही इसी मंच से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था। अब भारत के विदेश मंत्री ने जवाब दिया, साथ ही पड़ोसी मुल्क को आइना भी दिखाया।
भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान का सीमा पार आतंकवाद कभी सफल नहीं होगा और उसे अपने कर्मों (आतंकवाद का समर्थन करना) का निश्चित रूप से परिणाम भुगतना होगा।
पीओके एकमात्र मुद्दा: जयशंकर
- एस. जयशंकर ने भारतीय समयानुसार शनिवार रात संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की आम बहस को संबोधित किया। पाकिस्तान के साथ ही उन्होंने चीन पर भी निशाना साधा।
- विदेश मंत्री ने कहा, यह पाकिस्तान के कर्म हैं कि उसकी बुराइयां अब उसके समाज को तबाह कर रही हैं। भारत-पाक के बीच अब केवल पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करना ही एकमात्र मुद्दा है।
- बकौल एस. जयशंकर, ‘पाकिस्तान को आतंकवाद से अपने लगाव को त्यागना होगा। कई देश परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं। लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे निर्णय लेते हैं, जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं।’
चीन पर भी साधा निशाना
चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना-बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का नाम लिए बगैर भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि अनुचित व्यापार प्रथाओं से नौकरियों को खतरा है, ठीक वैसे ही जैसे अव्यावहारिक परियोजनाओं से कर्ज का स्तर बढ़ता है।