डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस के ग्राफिक्स डिजाइनर बौहेल्म बौचिबा ने नाबालिग लड़कियों के रेप के वीडियो को लाइव-स्ट्रीम किया था। इस मामले के सामने आने के बाद बोहेल्म के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। बौहेल्म पर नाबालिगों के बार-बार रेप और यौन उत्पीड़न में मिलीभगत का आरोप हैं।
इसके साथ ही उन पर नाबालिगों की मानव तस्करी में शामिल होने, नाबालिगों की अश्लील तस्वीरों को रखने और नियमित रूप से बाल अश्लीलता इंटरनेट साइटों से परामर्श करने का भी आरोप लगा है। आरोप है कि 59 वर्षीय ग्राफिक्स डिजाइनर ने साल 2012 से 2021 के बीच फिलीपींस में महिलाओं को पैसे दिए।
इसके बाद कैमरे के सामने नाबालिग लड़कियों का दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न करवाया, जिसे उन्होंने लाइवस्ट्रीम के जरिए देखा। इस मामले में यूरोपीय संघ की कानून प्रवर्तन सहयोग एजेंसी यूरोपोल ने पुलिस को जानकारी दी। उन्होंने पुलिस को फिलीपींस में संदिग्ध मनी ट्रांसफर के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद बौहेल्म का नाम सामने आया और मामले की जांच शुरू की गई।
यूरोपोल ने पश्चिमी ग्राहकों द्वारा वित्तपोषित बच्चों के यौन शोषण की लाइवस्ट्रीम की गई बड़ी जांच के दौरान संदिग्ध मनी ट्रांसफर पर ध्यान दिया। यह अक्सर दक्षिणी गोलार्ध के देशों में होता है। पूछताछ के दौरान बौहेल्म ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह वेबकैम द्वारा फिल्माए गए और फिलीपीनी महिलाओं से संबंधित सेक्स शो देखता था।
इसके अलावा ग्राफिक्स्स डिजाइनर ने यह भी स्वीकार किया वह बाल अश्लीलता साइट्स यानी चाइल्ड पोर्नोग्राफिक्स साइट्स को भी देखता था। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि वह वयस्कों के लिए बनाई गई साइट्स पर महिलाओं से मिला था।
इसके बाद उसने निजी प्लेटफॉर्म पर महिलाओं से बातचीत की। वहां वह 5 से 10 साल की उम्र के बच्चों परयौन हिंसा करने के लिए पैसे देने की पेशकश करता था। बच्चों का डिजिटल रेप किया जाता था, कभी-कभी उन्हें यौन उत्पीड़न के दृश्य भी दिखाए जाते थे।
आरोपी ने 24 महिलाओं के साथ संबंध बनाने की बात स्वीकार की। उसने 200 सत्रों के लिए करीब 10,000 यूरो का पेमेंट किया था। यानी हर शो के लिए उसने 50 से 100 यूरो दिए थे। पुलिस ने बताया कि आरोपी को साल 2009 में अपनी सौतेली बेटी के यौन शोषण का भी दोषी पाया गया था।
ग्राफिक्स्स डिजाइनर को 4 अक्टूबर 2021 को सैन फ्रांसिस्को के हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था। उस वक्त वह अमेरिका में रह रहा था। बाद में उसे फ्रांस को प्रत्यर्पित कर दिया गया।