चीन विकसित कर रहा है सुपरसोनिक पनडुब्बी
पांच हजार किमी प्रतिघंटा की दर से तैरेगी पनडुब्बी।
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Publish Date: Sun, 24 Aug 2014 05:12:23 PM (IST)
Updated Date: Sun, 24 Aug 2014 05:13:27 PM (IST)
बीजिंग। चीन सुपरसोनिक पनडुब्बी बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ गया है। एक चीनी वैज्ञानिक ने बताया कि इस पनडुब्बी के जरिए शंघाई से सैन फ्रांसिस्को तक की 9,900 किमी की दूरी को दो घंटे से भी कम समय में तय करना संभव होगा। साउथ चाइना पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हरबिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कॉम्प्लेक्स फ्लो एंड हीट ट्रांसफर प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई नई तकनीक के जरिए पानी के अंदर पनडुब्बियों और टोरपेडो को बेहद तेज गति से चलाना संभव होगा।
फ्ल्यूड मशीनरी एंड इंजीनियरिग के प्रोफेसर ली फेंगचेन ने कहा कि नई तकनीक के जरिए पानी में तेज गति के लिए हवा के बुलबुले बनाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा, "इसकी क्षमता से हम सब बहुत उत्साहित हैं।" शीत युद्ध के दौरान सोवियत सेना ने सुपर कैविटेशन नाम से एक तकनीक विकसित की थी। इस तकनीक में पनडुब्बी को पानी के दबाव से बचाने के लिए उसे हवा के एक बुलबुले से घेर दिया जाता था। शकवाल के नाम से तैयार सुपर कैविटेशन टोरपेडो 370 किमी प्रतिघंटा या अधिक की गति से चलने में सक्षम थी। ली ने बताया कि चीनी वैज्ञानिकों के दल ने तेज गति से चलने में सक्षम पनडुब्बियों के निर्माण की परेशानियों को दूर करने का तरीका ईजाद किया है।
इस तकनीक के जरिए हवा का बुलबुला बनाकर उसे एक पतवार के माध्यम से व्यवस्थित किया जाता है ताकि पनडुब्बी को पानी के सीधे संपर्क से बचाया जा सके। हालांकि ली ने कहा कि अभी सुपरसोनिक पनडुब्बी के परिचालन को वहनीय बनाने की दिशा में बहुत सी चुनौतियों को दूर किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि पनडुब्बी को ज्यादा दूर तक ले जाने में सक्षम ताकतवर रॉकेट इंजन की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक का केवल सैन्य प्रयोग ही नहीं है बल्कि भविष्य में असैन्य परिचालनों में भी इसका प्रयोग किया जा सकेगा।