मल्टीमीडिया डेस्क। जीवन में गुरु का बड़ा महत्व है। अगर गुरु सही मिल जाए, तो वह छात्रों की जिंदगी में जबरदस्त बदलाव ला सकता है। ऐसी ही कहानी है अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स की। तीन ओलिम्पिक खेलों में उन्होंने सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते हैं। उनके नाम ओलिम्पिक में सबसे ज्यादा पदक जीतने का रिकॉर्ड है। माइकल ओलिम्पिक के तैराकी के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने अब तक 28 मेडल जीते हैं।
माइकल फेल्प्स का सपना ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना था। वह जब बीजिंग ओलिम्पिक के दौरान पूल में कूदे, तो उनके चश्मे में पानी भर गया। इसकी वजह से वह कुछ भी देखने में समर्थ नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्होंने न सिर्फ वह प्रतियोगिता जीती, बल्कि विश्व रिकॉर्ड भी स्थापित किया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने प्रशिक्षण की छोटी-छोटी बारीकियों पर लगातार कई वर्षों तक मेहनत की थी और अपने कोच बॉब बोमन की एक सीख को गांठ बांधकर याद कर लिया था।
अब एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी स्विम में कोच की भूमिका निभा रहे बॉब ने माइकल को कहा था कि तैराकी के दौरान अपने हाथों को मारने के दौरान उसकी गिनती करते रहें, ताकि उन्हें पता हो कि पूल की दीवार से कब फ्लिप करके लौटना है।
बीजिंग के ओलिंपिक में जब माइकल के चश्मे में पानी भर गया, तो भी उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि गुरु की दी गई यह सीख वह हमेशा ही अपनाते थे। उन्हें पता था कि कितने स्ट्रोक मारने के बाद उन्हें फ्लिप करना है। यही वहज है कि माइकल ने विपरीत परिस्थिति में भी न सिर्फ सफलता हासिल की, बल्कि रिकॉर्ड भी बनाया।
उनके कोच बॉब ने कहा कि माइकल ने असहज होने के साथ सहज होना सीखा था। माइकल ने कौशल सीखा ताकि दबाव में भी वह अच्छा प्रदर्शन कर सके। खुद के लिए सब कुछ सही करने की कोशिश मत करो, अपने आप पर सख्त हो। बोमन ने कहा कि व्यक्तिगत विकास के तीन चरण हैं कल्पना, चुनौती और उच्च प्रदर्शन।
बोमन ने कहा कि उच्च-प्रदर्शन उस प्रक्रिया का एक स्वाभाविक परिणाम है, जो इसका नेतृत्व करती है। इसमें आपका एटीट्यूड यानी रवैया और प्रतिकूलता में भी काम करने की क्षमता शामिल है। माइकल के चश्मे में पानी भर जाने के बाद भी गोल्ड जीतना इसका उदाहरण है। आपको अपनी योजना को समायोजित करना होगा।