वर्ल्ड डेस्क, इंदौर। बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन ने शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल को उखाड़ फेंक दिया है। वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ कर भारत आ गई हैं। सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने बांग्लादेश के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन कुछ हफ्ते पहले ही शुरू हुआ था। छात्र आरक्षण के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। इस दौरान बिल्कुल भी यह नहीं लग रहा था कि इस तरह के हालात बन जाएंगे। शेख हसीना कुछ घंटे पहले ही बहन शेख रेहाना के साथ हेलीकॉप्टर से बांग्लादेश को छोड़कर चली गई हैं। वह भारत के गाजियाबाद शहर में उतरीं।
बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्रों का प्रदर्शन देखते ही देखते हिंसक हो गया था। इस हिंसा में अब तक 300 लोगों की जान चली गई थी। ढाका में कुछ दिन पहले छात्र और पुलिस बल आमने-सामने आ गए थे। छात्र हाथ में लाठी-डंडे लेकर पुलिस बलों से भिड़ गए थे।
शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शन को दबाने के प्रयास शुरू कर दिए थे। सबसे पहले देश के कई हिस्सों में इंटरनेट की सुविधा को बंद कर दिया गया था। शेख हसीना ने छात्रों के इस प्रदर्शन की तुलना आतंकवाद से कर दी थी। उन्होंने कहा कि यह आतंकवादी कर रहे हैं। वह देश का माहौल खराब करना चाहते हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की थी कि वह प्रदर्शन ना करें। उनके साथ बातचीत शुरू करें।
दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण रिजर्व है। यह पांच भागों में बांटा गया है।
छात्रों को दिक्कत केवल स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिल रहे आरक्षण से है। वह उस 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। छात्रों का शेख हसीना सरकार पर आरोप था कि सरकार उन लोगों को आरक्षण बांट रही है, जो उनके साथ खड़े हैं। मेरिट के आधार अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है।