Afghanistan Crisis : काबुल में दो आत्मघाती हमलों के बाद अमेरिकी सेना और अधिकारियों में दहशत बढ़ गई है। इसकी वजह ये है कि 31 अगस्त की वापसी से पहले, अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाकर और भी हमले किये जा सकते हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक ISIS अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को निकलने से पहले सबक सिखाना चाहता है। उधर काबुल हवाई अड्डे पर हुए विस्फोटों में मरने वालों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है, और 150 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के सहयोगी ISIS-K ने ली है।
IS शाखा ने जिम्मेदारी के अपने दावे में कहा कि उसने अमेरिकी सैनिकों और उनके अफगान सहयोगियों को निशाना बनाया। आपको बता दें कि ISIS हमेशा से ही अमेरिका का दुश्मन रहा है और उसके खिलाफ हमले की साजिश रचता रहा है। चरमपंथी IS समूह, तालिबान के भी खिलाफ है, क्योंकि इसे वह अमेरिका के साथ शांति समझौते पर सहमत होने के लिए देशद्रोही मानता है।
विस्फोट के काबुल में क्या हुआ असर?
एयरपोर्ट पर धमाकों के बाद काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी विमानों की गतिविधि अचानक बहुत बढ़ गई है। अब अमेरिका कोई खतरा उठाना नहीं चाहता और 31 अगस्त से पहले भी एयरपोर्ट खाली करने की तैयारी में है। दूसरे देशों के अधिकारियों ने भी अपने लोगों को निकालने की प्रक्रिया तेज कर दी है। उधर धमाकों के बावजूद काबुल एयरपोर्ट के बाहर देश छोड़ने की आस लगाये बैठे अफगानी नागरिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। माना जा रहा था कि लोगों को डराने के लिए ये धमाके किये गये थे, लेकिन लोगों को मरना मंजूर है, लेकिन तालिबान के शासन में जीना मंजूर नहीं।
हमलों का पाकिस्तानी कनेक्शन?
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तालिबान ने काबुल से हक्कानी नेटवर्क से जुड़े दो पाकिस्तानी हमलावरों को गिरफ्तार किया है। इसके मुताबिक एक तीसरे हमले की भी तैयारी थी, जो उसकी गिरफ्तारी की वजह से टल गई। सूत्रों ने ये भी बताया कि तालिबान को काबुल विस्फोट में हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ के बारे में पता था और तुर्कमेनिस्तान दूतावास में तीसरे विस्फोट की योजना बनाई गई थी। सूत्रों ने आगे कहा कि हालांकि, विस्फोट होने से पहले ही दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।