Saturn: पीड़ित होने पर शनि परेशानी, संतान, विवाह में बाधा, कार्य में रुकावट, आयु का नाश, लंबी बीमारियां आदि देता है।
Saturn: वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है, जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि तीनों लोकों का न्यायाधीश है। अतः यह व्यक्तियों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। शनि का गोचर एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है और उसकी दशा साढ़े सात वर्ष की होती है, जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।