मूल, ज्येष्ठा और आश्लेषा इन तीन नक्षत्रों को मूल नक्षत्र कहा जाता है और आश्विन, मेघा और रेवती को सहायक मूल नक्षत्र होते हैं।
Mool Nakshatra: राशि चक्र क1 91वां नक्षत्र समूह है मूल नक्षत्र। मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है और राशि के स्वामी देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोगों पर गुरु और केतु का सीधा प्रभाव पड़ता है। मूल नक्षत्र पर विनाश की देवी यानी देवी महाकाली का शासन होता है। ‘मूल’ का अर्थ जड़ है और इसका प्रतीक जड़ों के एक समूह से है जो एक साथ बंधे होते हैं।