केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तंत्र आदि का कारक होता है।
Ketu: ज्योतिष में केतु को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। यह एक छाया ग्रह है। इसे किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथनु में यह नीच भाव में होता है। 27 रुद्राक्षों में केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी होता है। राहु और केतु दोनों मिलकर जन्म कुण्डली में काल सर्प दोष का निर्माण करते हैं। राहु और केतु के कारण ही सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।