पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने वालीं जबलपुर की रूबीना की Success Story… दिव्यांगता और गरीबी को दी मात
जबलपुर की बेटी रूबीना फ्रांसिस ने भारत निशानेबाजी टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता। उन्होंने पी2 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट में यह उपलब्धि हासिल की है
By Alok Banerjee
Publish Date: Sun, 01 Sep 2024 10:32:39 AM (IST)
Updated Date: Sun, 01 Sep 2024 02:23:16 PM (IST)
अपने माता-पिता और भाई के साथ रूबीना। (फोटो नईदुनिया) HighLights
- मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली हैं रूबीना फ्रांसिस
- पी2 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट जीता कांस्य पदक
- हाल ही में इनकम टैक्स में निरीक्षक पद पर मिली है नियुक्ति
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर (Paralympics 2024)। दिव्यांगता को रूबीना ने अपने निशानेबाजी करियर पर कभी हावी नहीं होने दिया, यही कारण है कि वह 25 साल की उम्र में देश की सबसे सफल दिव्यांग निशानेबाज बन गई हैं। पेरिस में खेली जा रही पैरालंपिक 2024 की निशानेबाजी में शनिवार का दिन भारतीय खिलाड़ियों के नाम रहा। रूबीना ने देश के लिए एक कांस्य पदक निशानेबाजी में जीतकर विश्व में देश का मान बढ़ाया।
(पी2 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच1 इवेंट में कांस्य पदक जीतने के बाद रूबीना।)
गरीबी के बाद दिव्यांगता पर जीत
- 25 साल की अंतरराष्ट्रीय पैरा निशानेबाज रूबीना जबलपुर की ऐसी प्रतिभाशाली निशानेबाज हैं जिनका बचपन बेहद गरीबी में बीता।
- सुनीता-साइमन फ्रांसिस की बेटी रूबीना के दोनों पैर जन्म से तिरछे थे। इलाज के बाद कुछ फायदा हुआ, लेकिन पैर पूरे सीधे नहीं हुए।
- रूबीना का एक भाई एलेक्जेंडर भी है। पिता साइमन ने गाड़ी मिस्त्री का कार्य कर एक समय परिवार का भरण-पोषण किया।
- 2014 में गन फॉर ग्लोरी शूटिंग अकादमी के प्रतिभा खोज चयन स्पर्धा से रूबीना निशानेबाजी खेल विधा से जुड़ीं।
रूबीना का ग्राफ ऐसे ऊंचा होता गया
चयन स्पर्धा में सिलेक्ट होने के बाद रूबीना ने अकादमी में प्रवेश पाया, जहां उसे निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद इस निशानेबाज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छह से अधिक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देश की ओर से खेल चुकीं रूबीना अभी सेंट अलॉयसियस कॉलेज में एमकाम की पढ़ाई पूरी कर रही हैं। अभी 15 दिन पहले ही 16 अगस्त को उसे आयकर विभाग में निरीक्षक पद पर नियुक्ति मिली है और पहली पोस्टिंग मुंबई में मिली है।