खेल डेस्क, इंदौर। 19 अक्टूबर को वर्ल्ड कप फाइनल में खिताब के लिए भारत और आस्ट्रेलिया आपस में भिड़ेंगी। हर भारतीय की नजरें 19 अक्टूबर को होने वाले मैच पर होंगी। भारतीय टीम के एकतरफा प्रदर्शन को देखकर सभी को ये ही लगता है कि वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अब दूर नहीं है। फिर भी एक आंकड़ा ऐसा है, जिससे भारत की जीत और हार टॉस से ही हो जाएगी। जी हां, विश्व कप फाइनल में भारत टॉस हारता है तो वर्ल्ड कप घर ले जाता है।
1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम कपिल देव के नेतृत्व में खिताब जीतने उतरी थी। वर्ल्ड कप के फाइनल में भारतीय टीम टॉस हार गई और उसे पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और सुनील गावस्कर 2 रन बनाकर आउट हो गए। उसके बाद दूसरे विकेट के लिए श्रीकांत और मोहिंदर अमरनाथ के बीच पार्टनरशिप हुई। भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन क्रिस श्रीकांत ने ही बनाए थे। भारतीय टीम 183 रन पर ऑलआउट हो गई थी।
भारत के दिए 183 रनों के लक्ष्यों का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम की भी शुरुआत कोई खास नहीं रही। गॉर्डन ग्रीनिज और डेसमंड हेन्स कुछ खास नहीं कर पाए और जल्दी आउट हो गए। उसके बाद विव रिचर्ड्स ने वेस्टइंडीज की पारी को संभाला, लेकिन वह भी मोहनलाल की गेंद पर कपिल देव को कैच दे बैठे। उन्होंने 28 गेंद पर 33 रन 7 चौकों की मदद से बनाए। उसके बाद वेस्टइंडीज की पारी पूरी तरह से बिखर गई और 140 रन पर ऑल आउट हो गई।
2003 का वर्ल्ड कप फाइनल में भारत और आस्ट्रेलिया में भिड़ंत हुई। भारत ने टॉस जीतकर आस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया। आस्ट्रेलिया ने भारतीय गेंदबाजों पर शुरुआत से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया। एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन की ओपनिंग जोड़ी ने भारतीय गेंदबाजों को जमकर कूटा। उसके बाद आस्ट्रेलियाई कप्तान रिंकी पोटिंग ने 8 छक्के और 4 चौकों की मदद से 140 रनों की कप्तानी पारी खेली। डेमियन मार्टिन ने 88 रनों मारे थे। एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, रिंकी पोटिंग और डेमियन मार्टिन की पारी की वजह से आस्ट्रेलिया ने 359 रन 2 विकेट खोकर बनाए।
भारत की शुरुआत ही बेहद खराब रही। सचिन पूरे वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे, लेकिन फाइनल में उनका बल्ला आस्ट्रेलिया के सामने नहीं चल सका। सचिन केवल 4 रन बनाकर ही आउट हो गए। भारत की तरफ से वीरेंद्र सहवाग ही इकलौते खिलाड़ी रहे जिन्होंने अर्धशतक बनाया। सहवाग ने 82 रनों की पारी खेली। उसके बाद राहुल द्रविड़ ने 47 रनों का योगदान दिया। भारत आस्ट्रेलिया से यह मुकाबला 125 रनों से हार गया।
वर्ल्ड कप 2011 में भारत का श्रीलंका से फाइनल में मुकाबला हुआ था। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी। श्रीलंका की तरफ से महिला जयवर्धने ने 103 रन की नाबाद पारी खेली थी। महिला जयवर्धने के बाद कुमार संगाकारा ने 48 रनों की कप्तानी पारी खेली थी। श्रीलंका ने 6 विकेट खोकर 274 रन बनाए। भारत की तरफ से जहीर खान और युवराज सिंह ने सबसे अधिक 2-2 विकेट लिए। हरभजन सिंह के हाथ भी 1 विकेट लगा था।
भारत की तरफ से वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर ओपनिंग करने उतरे थे। भारत को शुरुआत में ही वीरेंद्र सहवाग के रूप में बहुत बड़ा झटका लगा था। मलिंगा ने सहवाग को जीरो रन बनाकर आउट कर दिया था। भारत का स्कोर इस दौरान 0 रन 1 विकेट था। उसके बाद मलिंगा ने सचिन को भी जल्दी पवैलियन भेज दिया। भारत का स्कोर था 31 रन 2 विकेट के नुकसान पर। फिर गंभीर और विराट कोहली ने पारी को संभाला। इनकी पार्टनरशिप ने भारत को जीत की आस दी। गंभीर ने 97 रन बनाकर परेरा की गेंद पर आउट हो गए। महेंद्र सिंह धोनी ने भारत की पारी को संभाला। उन्होंने सिक्स मारकर विनिंग शॉट लगाया और 91 रनों की कप्तानी पारी खेली।