
कोलंबो। श्रीलंकाई क्रिकेट टीम आजकल बहुत अच्छे दौर से नहीं गुजर रही। युवा खिलाड़ियों को मौका दिए जाने के बाद से टीम का प्रदर्शन कमजोर रहा है। कप्तान अर्जुन रणतुंगा के वक्त बड़े-बड़े खिलाड़ी श्रीलंंकाई टीम से खौफ खाते थे। उसी समय एक ऐसा बल्लेबाज टीम में शामिल हुआ था, जिसके संघर्ष और कामयाबी की आज भी नजीर दी जाती है।
यह खिलाड़ी था मार्वन अटापट्टू। अटापट्टू तकनीकी रूप से सक्षम माने जाते थे, लेकिन उनका टेस्ट डेब्यू बहुत अजीब रहा। उन्हें टेस्ट करियर में एक से दूसरा रन बनाने में पूरे छह साल लग गए।
अटापट्टू को 20 साल की उम्र में नवंबर 1990 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला था। भारत के खिलाफ 23 से 27 नवंबर को चंडीगढ़ में खेले गए उस टेस्ट मैच की दोनों पारियों में अटापट्टू बिना कोई रन बनाए आउट हो गए।
अगले टेस्ट मैच में टीम मैनेजमेंट ने अटापट्टू को ड्रॉप कर दिया। इसके बाद उन्होंने फिर फर्स्ट क्लास क्रिकेट का रुख किया और वहां खूब रन बनाए। चयनकर्ता प्रभावित हुए और 21 माह बाद दूसरा मौका मिला।
अपने दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भी वे शून्य पर आउट हो गए। दूसरी पारी में महज 1 रन बना सके। टीम से उन्हें फिर बाहर कर दिया गया।
अटापट्टू ने खुद को साबित करने के लिए फिर फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना शुरू किया और सैकड़ों रन बनाए। 17 माह बाद फिर टेस्ट मैच खेलना मौका मिला, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं ंदिया। दोनों पारियों में फिर शून्य पर आउट हो गए।
जब क्रिकेट प्रेमियों को लगा कि अटापट्टू कभी टेस्ट मैच नहीं खेल पाएंगे, तीन साल बाद उन्होंने टीम में फिर वापसी की। इस बार उन्होंने रन बनाए और फिर बनाते गए। अटापट्टू श्रीलंका के उन बल्लेबाजों में शामिल हैं, जिन्होंने 5000 से ज्यादा टेस्ट रन बनाए हैं, जिसमें 16 शतक और 6 दोहरे शतक शामिल हैं। उन्होंने कप्तानी भी की।
अटापट्टू की पहली 10 टेस्ट पारियां