Utpanna Ekadashi 2022: मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। मान्ताओं के अनुसार इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर 2022 को है। मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है। लेकिन क्या आपको पता है एकादशी व्रत से जुड़े कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है? इन नियमों का पालन करने पर ही व्रत पूर्ण और आपको उसका पूरा फल मिलता है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम, पूजा विधि और मुहूर्त-
एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामना पूरी होने की मान्यता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर 2022 को है। उत्पन्ना एकादशी 19 नवंबर 2022, शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन 20 नवंबर को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी।
- उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं। इसलिए दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
- इसके बाद एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए और भगवान विष्णु को हल्दी मिश्रित जल चढ़ाना चाहिए।
- उत्पन्ना एकादशी व्रत आप अपनी श्रद्धा अनुसार निर्जला और फलाहार दोनों तरह से रख सकते हैं।
- इसके बाद अगले दिन यानी द्वादशी के दिन सुबह उठकर फिर से विष्णु जी की पूजा करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- कहा जाता है कि एकादशी व्रत का पारण करने से पहले ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने से व्रत संपन्न हो जाता है और भगवान विष्णु आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और उन्हें तुलसी दलव फूल अर्पित करें
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और भगवान की आरती करें।
- इसके बाद भगवान को भोग लगाएं, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।