धर्म डेस्क, इंदौर। Tulsi Vivah 2023: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा योग से जागते हैं। इसी दिन से सभी शुभ कार्य किए जाते हैं और इसी अवसर में देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह का 24 नवंबर को किया जाएगा। तुलसी का विवाह करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पैसों की समस्या खत्म हो जाती है। तुलसी विवाह के पीछे एक पौराणिक कथा है। आइए, जानते हैं तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त और कथा।
तुलसी विवाह अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.46 बजे से दोपहर 12.28 बजे तक।
तुलसी विवाह गोधूलि बेला - शाम 5.22 बजे से शाम 5.49 बजे तक।
24 नवंबर को तुलसी विवाह पर सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।
तुलसी विवाह अमृत सिद्धि योग - सुबह 06.50 बजे से लेकर 04.01 बजे तक।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जालंधर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था। जिसे हराना आसान नहीं था। उसकी शक्ति के पीछे का कारण यह था कि उसकी पत्नी वृंदा अपने पति के प्रति समर्पित थी। वह भगवान विष्णु की भी भक्त थी। जलंधर जब भी युद्ध पर जाता, तो उसकी पत्नी भगवान विष्णु की पूजा करने लगती थी, जिससे विष्णु उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।
इसे देखते हुए सभी देवता जालंधर से छुटकारा पाने का उपाय ढूंढने के लिए विष्णु जी के पास पहुंचे। इसके बाद भगवान विष्णु ने वृंदा के पति जालंधर का रूप धारण किया और उसे छू लिया, जिससे उसका पतिव्रता धर्म टूट गया। इससे जालंधर की शक्तियां भी कम हो गईं और वह भगवान शिव से युद्ध में हार गया, जिसमें भगवान शिव ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब विष्णु के भक्त और जालंधर की पत्नी को पता चला कि श्रीहरि ने उनके साथ ऐसा किया है, तो उन्होंने विष्णु को श्राप दे दिया, जिससे वह पत्थर बन गए और श्राप देने के बाद उन्होंने आत्मदाह कर लिया। तदनंतर, जहां वृंदा ने आत्मदाह किया, वहां एक पौधा उग आया, जो तुलसी कहलाया। इस संबंध में भगवान विष्णु ने कहा कि तुलसी के साथ ही मेरी पूजा पाषाण यानी शालिग्राम के रूप में की जाएगी। इसी कारण से देवउठनी के दिन शालिग्राम का विवाह तुलसी से होता है।
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