Teja Dashmi 2022। मध्य भारत और राजस्थान में हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तेजा दशमी पर्व मनाया जाता है। यह पर्व खास तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कुछ अन्य राज्यों में मनाया जाता है। इस राज्यों में तेजा दशमी पर मंदिर के आसपास मेले लगते हैं और भक्त तेजा महाराज को रंगे बिरंगे छाते अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि तेजा महाराज की आराधना करने से सर्पदंश से मौत का भय समाप्त हो जाता है। विशेषकर ग्रामीण अंचलों में तेजा महाराज के भक्तों की संख्या अधिक है।
हर साल तेजा दशमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। तेजा देवता को जाट समुदाय का देवता माना जाता है और इन्हें सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि चाहे जितने भी जहरीले सांपों को काट लिया जाए लेकिन यदि तेजाजी तांती को बांध दिया जाए, तो वह जहर का असर बिल्कुल भी नहीं होता है।
ऐसा माना जाता है कि वीर तेजाजी महाराज का जन्म माघ शुक्ल चतुर्दशी संवत 1130 यानी 29 जनवरी 1074 को नागौर जिले के खरनाल गांव में हुए था। तेजाजी महाराज का जन्म तहरजी और रामकुंवारी नाम के माता-पिता के घर हुआ था, जो एक जाट परिवार थे। तहरजी और रामकुंवारी को लंबे समय तक भी संतान नहीं हुई थी तो उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती की घोर तपस्या की, जिसके बाद घर में तेजाजी का जन्म हुआ। जन्म के समय एक भविष्यवाणी हुई थी जिसमें कहा गया था कि भगवान स्वयं उनके घर में अवतार लेंगे। तेजाजी को सांपों के देवता, गायों के मुक्तिदाता, कला-बाला के देवता, कृषि कार्यों के दाता के रूप में भी जाना जाता है।
तेजा दशमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ और राजस्थान के कई इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है। कई स्थानों पर मेले से साथ जुलूस भी निकाला जाता है और भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। तेजाजी महाराज से जुड़ी एक प्रचलित कथा यह भी है कि तेजाजी बचपन से ही बहादुर थे और लोगों की मदद करते थे। एक दिन वह अपने रिश्ते की बहन को लेने ससुराल गये थे तो वहां उसे पता चला कि एक लुटेरा उसकी बहन की गायों को ले जा रहा है। जैसे ही तेजाजी को पता चला तो वे जंगल में डाकू से मुकाबला करने के लिए पहुंच गए। रास्ते में उनके सामने भाषाका नाम का सांप आया और काटने की कोशिश करने लगा। तब तेजाजी ने सांप से प्रार्थना की कि आप मुझे इस समय जाने दो। मैं अपनी बहन की गायों को डाकुओं से मुक्त करके वापस आऊँगा, फिर मुझे काट लेना, इसके बाद तेजाजी ने बहन की गायों को लुटेरे से छुड़ाया। इसके बाद तेजाजी जब घायल अवस्था में सांप के पास पहुंचे तो सर्प ने कहा कि तुम्हारा पूरा शरीर खून से अशुद्ध है। मैं कहां काटू, तब तेजा जी सांप को अपनी जीभ पर काटने के लिए कहते हैं। तेजाजी की प्रतिबद्धता को देखकर नागदेव उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित है, अगर वह आपके नाम पर धागा बांधेगा तो उस पर सांप के जहर का असर नहीं होगा।
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