शशांक शेखर बाजपेई, इंदौर। Pradosh Vrat Kab Hai: भगवान शिव और पार्वती की पूजा त्रयोदशी तिथि को की जाती है, जिसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। एक महीने में प्रदोष दो बार आता है। सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। उसी समय में भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि भाद्रपद का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार 16 सितंबर के दिन है। सोमवार के दिन इस व्रत के होने की वजह से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। त्रयोदशी तिथि 15 सितंबर को शाम 06:11 मिनट पर शुरू होगी और 16 अगस्त को दोपहर 3:09 मिनट पर समाप्त होगी।
इसलिए 16 सितंबर को ही सोम-प्रदोष व्रत रखना उचित होगा। भाद्रपद माह में आने वाले दूसरे प्रदोष व्रत के दिन दोपहर 11:40 तक सुकर्मा योग और 11:40 के बाद शूल योग है। इस दिन तैतिल और गरज करण के साथ ही धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र शाम 16:40 से रहेगा।
पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, अश्विनी मास का पहला प्रदोष व्रत 30 सितंबर को पड़ेगा। सोमवार के दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने की वजह से उसे भी सोम-प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04:47 बजे शुरू होगी और 30 सितंबर को शाम 07:06 बजे तक रहेगी। इसलिए, उदिया तिथि में प्रदोष का व्रत 30 सितंबर को ही रखा जाएगा।
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