Brahmacharini Mata Puja Vidhi: नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा… जानिए किस भोग और मंत्र से मां दूर करती हैं सारे दोष
शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र शुरू हो चुका है। 4 अक्टूबर को दूसरा दिन है। यह मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। पूरे विधि-विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और आरती करने से मनचाहा फल मिलता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Fri, 04 Oct 2024 06:33:00 AM (IST)
Updated Date: Fri, 04 Oct 2024 07:11:33 AM (IST)
माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। HighLights
- नवदुर्गाओं में दूसरी आदिशक्ति मां ब्रह्मचारिणी हैं
- नवरात्र के दूसरे दिन इसी रूप की पूजा होती है
- ब्रह्मचारिणी को सफेद और पीला रंग प्रिय है
धर्म डेस्क, इंदौर (Shardiya Navratri 2024 2 Day): शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। शास्त्रों में लिखा है कि पूरा विधि-विधान और श्रद्धा भाव से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तथा आराधना करने से भक्तों के सभी दोष दूर होते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी संयम तथा सदाचार प्रदान करती हैं। उनकी कृपा पाने वाले लोग मुश्किल से मुश्किल हालात में विचलित नहीं होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों के दुर्गुणों को दूर करती है।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, भोग (Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Bhog)
- नवरात्र में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां ब्रह्मचारिणी को सफेर और पीला रंग प्रिय है। इसी रंग के वस्त्र धारण करें। मां को पीली या सफेद वस्तुएं ही अर्पित करें।
- सबसे पहले माता ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद कुमकुम से पूजा करें। लौंग, बताशे, हवन सामग्री आदि चीजें अर्पित करें। धूप दें और शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- मां ब्रह्मचारिणी को पीले रंग के फलों का भोग लगाएं। साथ ही दूध से बनी चीजें अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन माता के ध्यान करें। पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें।
मां ब्रह्माचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माता ब्रह्मचारिणी की आरती (Brahmacharini Mata Aarti)
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगान।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
बोल सांचे दरबार की जय, जय माता दी।