Shakuni in Mahabharat: महाभारत में हस्तिनापुर के राजभवन में जुए के जो दांव खेले गए उनकी वजह से कुरु राजवंश की दशा और दिशा हमेशा के लिए बदल गई थी। आखिर ऐसा क्यों हुआ की परम बलशाली पांडव जुए के खेल में अपना सब कुछ गंवा बैठे। महाभारत के कथानक पर अगर नजर डालें तो शकुनि की चालों में फंसने का कारण पांडवों को अपना राजपाठ छोड़कर जंगलों की खाक छानना पड़ी थी।
शकुनि ने लिया था कुरु राजवंश के खात्मे का संकल्प
शकुनि अपनी बहन गांधारी से बहुत स्नेह रखता था। इस संबंध में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है कि आखिर शकुनि ने कुरु राजवंश के विनाश क्यों करवाया। एक कहानी यह है की महाराज धृतराष्ट्र ने शकुनि के परिजनों को जेल में बंद कर दिया था। क्योंकि गांधारी की कुंडली में दो विवाह और पहले विवाह से वैधव्य योग था। गांधार के महाराजा ने इसलिए गांधारी का पहला विवाह बकरे से करवाकर उसकी बलि चढ़ा दी थी।
लेकिन धृतराष्ट्र को सिर्फ गांधारी के वैधव्य योग का पता था इसलिए उन्होंने नाराज होकर गांधारी के सभी परिजनों को जेल में बंद कर दिया, लेकिन युद्ध के बंधकों की हत्या नहीं की जा सकती थी इसलिए धृतराष्ट्र ने उनको भूखे-प्यासे रखकर मारने का निश्चय किया और सभी के बीच सिर्फ एक मुट्ठी चावल दिया जाता था।
ऐसे में सभी परिजनों ने ये फैसला लिया कि सिर्फ शकुनि चावल खाएगा और गांधार राजवंश के खात्मे का बदला लेगा। शकुनि को छोड़कर सभी लोग एक-एक कर काल के गाल में समा गए। तब शकुनि के पिता ने अपनी मौत से पहले कहा कि उनकी अस्थियों से वह पांसों का निर्माण करें। यह पांसे कुरु राजवंश का नाश करेंगे। इसलिए शकुनि के पांसों में उसके पिता की रुह थी, इसलिए वह उसका कहा मानते थे। हालांकी इस कथा का महर्षि वेदव्यास की महाभारत में कहीं कोई जिक्र नहीं है।
शकुनि के पैरों में था एक जीवित भंवरा
एक कहानी यह भी है कि शकुनि के पांसे के अंदर एक जीवित भंवरा था जो हर बार शकुनि के पैरों की ओर आकर गिरता था। इसलिए शकुनि हमेशा अपने पांसों से जुआ खेलता था और उसके पांसे हमेशा छह का अंक बतलाते थे। शकुनि का सौतेला भाई मटकुनि इस तथ्य को भली-भांति जानता था इसलिए राजमहल में खेले गए चौपड़ के खेल में उसने सम्राट युधिष्ठिर की मदद की थी।
इसलिए कई बार शकुनि के छह अंक बोलने के बाद पांसा एक अंक बतलाता था और शकुनि हार जाता था। एक जनश्रुति यह भी है कि शकुनि मायाजाल और सम्मोहन का माहिर खिलाड़ी था और वह पांसों को अपने पक्ष में पलट देता था। यह भी कहा जाता है कि उसने अपने पांसों को सिद्ध् कर लिया था। इसलिए पांसे उसके कहे अनुसार अंक दिखलाते थे।