Pitru Paksha 2022: श्राद्ध पक्ष में खरीदारी करने से न डरें, भ्रांतियों का करें तर्पण
Pitru Paksha 2022 ऐसा कहा जाता है कि इस काल में भू-भवन, धन-संपत्ति आदि की खरीद की जाए तो पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Sat, 10 Sep 2022 08:27:36 AM (IST)
Updated Date: Sat, 10 Sep 2022 08:27:36 AM (IST)
Pitru Paksha 2022। हिंदू धर्म में जिस प्रकार से देवों की पूजा आराधना के लिए अलग-अलग माह समर्पित हैं, उसी तरह आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में देव तुल्य पितरों की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में अपने वंशजों के आह्वान पर देव-पितर धरा पर आते हैं। श्राद्ध-तर्पण से संतुष्ट होने के बाद सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर अपने धाम को चले जाते हैं। ज्योतिर्विद इस काल को पितरों की आराधना का पुण्य काल बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस काल में भू-भवन, धन-संपत्ति आदि की खरीद की जाए तो पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है।
खरीदी बिक्री की मनाही का शास्त्रों में जिक्र नहीं
पितरों के श्रद्धा के समय में शुभ-अशुभ का हवाला देते हुए खरीद-बिक्री की पांबंदी की बात हम सुनते रहते हैं लेकिन शास्त्रों में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री बताते हैं कि पितरों को देव कोटि तुल्य माना जाता है। शादी-विवाह हो या अन्य मंगल कार्य, पितरों को सबसे पहले आमंत्रित किया जाता है।
तुलसीदास ने पितरों को शिव तुल्य बताया
शास्त्री का कहना है कि गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान शिव को पितर कहा है। पितृ पक्ष पितरों का महोत्सव है। उन्हें स्मरण करने और श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध व तर्पण करने का काल है। पौराणिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि तर्पण ऋषियों का नैत्यिक व शुभ कार्य था। अतः पितृ पक्ष में खरीदारी को लेकर कोई निषेध शास्त्र-पुराणों में नहीं बताया गया है।
अन्य विद्वानों की खरीदारी पर राय
इसके अलावा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष व श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय पांडेय का भी कहना है कि पितृपक्ष श्रद्धा का पर्व है। हम पितरों का आह्वान करते हैं। सूर्य की संक्रांतियों अनुसार दिनों का बंटवारा किया जा रहा था, तब बचे हुए 16 दिनों को विशेष रूप से पितरों को समर्पित किया गया। इसमें भू-भवन समेत कोई भी वस्तु खरीदना शुभ होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में खरीदारी को निषेध नहीं बताया गया है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'