Phulera Dooj 2023: 21 फरवरी मनाई जाएगी फुलेरा दूज, जानें क्या है शुभ मुहूर्त व महत्व, इन बातों की रखें सावधानी
Phulera Dooj 2023 विवाह के लिए फुलेरा दूज का दिन काफी शुभ माना जाता है। फुलेरा दूज पर पूजा के समय रंगीन और साफ कपड़े
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Sat, 18 Feb 2023 09:39:46 AM (IST)
Updated Date: Sat, 18 Feb 2023 09:39:46 AM (IST)
Phulera Dooj 2023। फाल्गुन माह में होली के अलावा भी हिंदू धर्म के कई प्रमुख त्यौहार व व्रत मनाए जाते हैं। होली से पहले फुलेरा दूज का भी प्रमुख त्योहार मनाया जाता है और हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फुलेरा दूज से मथुरा में होली की शुरुआत हो जाती है और इस दिन ब्रज में श्री कृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है।
फुलेरा दूज पर खेलते हैं फूलों की होली
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज के दिन से ही भगवान श्रीकृष्ण ने फूलों की होली खेलना शुरू किया था। फुलेरा दूज को मथुरा और ब्रज के आसपास के इलाके में उत्साह के साथ मनाया जाता है। फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल फुलेरा दूज की तिथि की शुरुआत 21 फरवरी 2023, मंगलवार को सुबह 09.04 मिनट पर हो रही है और इसका समापन 22 फरवरी 2023 को सुबह 05.57 मिनट पर होगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक उदया तिथि के चलते फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023, मंगलवार को ही मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा गोधूलि मुहूर्त में होगी और गोधूलि मुहूर्त की शुरुआत शाम 06.13 मिनट से लेकर शाम 06.38 मिनट तक रहेगा।
ऐसा है फुलेरा दूज का पौराणिक महत्व
फुलेरा दूज पर हर साल भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी पर जमकर फूल बरसाए जाते हैं। फुलेरा दूज मुख्य रूप से ब्रज धाम में मनाया जाता है। श्री कृष्ण और राधा रानी को माखन मिश्री का भव्य भोग भी लगाया जाता है।
फुलेरा दूज का दिन विवाह के लिए उत्तम
विवाह के लिए फुलेरा दूज का दिन काफी शुभ माना जाता है। फुलेरा दूज पर पूजा के समय रंगीन और साफ कपड़े पहना चाहिए। वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को खत्म करने के लिए विधि विधान से पूजा करना चाहिए। पूजा के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।