Narak chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी पर होती है यमराज की पूजा, पापों से मिलेगी मुक्ति और खुलेंगे स्वर्ग के द्वार, जानें विधि
Narak chaturdashi 2022: नरक चौदस को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।इस कथा के अनुसार एक बार रंति देव नामक राजा अपने सभ्य व्यवहार विनम्रता के लिए जाने जाते थे। पढ़िए सम्पूर्ण कथा और जानिए नरक चतुर्दशी का महत्व
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Sun, 23 Oct 2022 07:37:31 AM (IST)
Updated Date: Sun, 23 Oct 2022 10:37:52 AM (IST)
Narak chaturdashi 2022 Puja Vidhi Narak chaturdashi 2022: दिवाली के पर्व पर खुशियों की धूम होती है।लंबे समय से इंतजार हो रहे इस पर्व का आगमन भी जल्द होने वाला है।इसकी तैयारियां भी जोरों से चल रही हैं।दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है।इस दिन को नरक चतुर्दशी का पर्व भी कहा जाता है।दिवाली की तर यह दिन भी काफी खास होता है। 23 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस पर्व पर यमराज की पूजा की जाती है।नरक चतुर्दशी को नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है।इस दिन नर्का पूजा की जाती है।इस खास दिन पर यमराज की विशेष उपासना से पापों का नाश होता है और स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।
मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करते हैं।इस दिन दीपों के दान करने की भी खास प्रथा रही है।माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन दीपों का दान किया जाता है।इसकी विधि भी शास्त्रों में विस्तार से वर्णित की गई है।यमराज की पूजा के लिए याचक को नरक चतुर्दशी के दिन सुबर स्नान करने के बाद विधि विधान से पूजा करनी होती है।सुबह पूजा करने के बाद शाम के समय भी दीप जलाने का विधान बताया गया है।ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं अकाल मृत्यु से बचाव होता है।साथ ही नरक चौदस के इस खास पर्व पर दीप दान करने की भी खास परंपरा रही है।
Narak chaturdashi 2022: यह है पौराणिक कथा
नरक चौदस को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।इस कथा के अनुसार एक बार रंति देव नामक राजा अपने सभ्य व्यवहार विनम्रता के लिए जाने जाते थे।लंबे समय तक यश और वैभव से राज करने के बाद राजा का अंतकाल निकट आ गया। जब यमराज उनके पास आए तो राजन ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कोई पाप नहीं किया तो फिर मुझे नरक क्यों जाना पड़ रहा है।
तब यमराज ने राजा को बताया कि एक बार साधुओं का एक जत्था आपके दरवाजे से भूखा लौट गया था।इसके बाद राजा ने यमराज से एक साल का समय मांगा।यमराज ने भी राजा को समय दे दिया।राजा ने साधु संतों से इसका प्रायश्चित पूछा।इस पर महात्माओं ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्मणों के भोजन कराने से पापों का नाश होगा।इसके बाद राजा ने ऐसा ही किया और स्वर्ग का रास्ता नापा।