Mokshada Ekadashi 2021: 14 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Mokshada Ekadashi 2021 एक बार गोकुल शहर में वैखान नाम के एक राजा का शासन था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसका
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Tue, 07 Dec 2021 12:00:03 PM (IST)
Updated Date: Tue, 14 Dec 2021 09:48:56 AM (IST)

Mokshada Ekadashi 2021 । मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मोक्षदा एकादशी व्रत को यदि कोई पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं, पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर मंगलवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से
मोक्षदा एकादशी पर की जाती है इनकी पूजा
मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण, विष्णु, महर्षि वेदव्यास और श्रीमद्भागवत गीता की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अगर इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए तो मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी तरह के कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का प्रभाव इतना अधिक होता है कि इसे करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
ऐसी है मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी व्रत के दौरान एक दिन पहले दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करना चाहिए। रात में खाना नहीं खाना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का प्रण लें और धूप, दीप और नैवेद्य आदि चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन रात में भी पूजा और जागरण करना चाहिए। एकादशी पर्व के अगले दिन द्वादशी की पूजा करने से जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन और दान का विशेष लाभ मिलता है।
मोक्षदा एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी तिथि सोमवार 13 दिसंबर की रात 09.32 बजे से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11.35 बजे तक चलेगी। उदयतिथी के कारण 14 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा गया है। यह व्रत 15 दिसंबर को सुबह 07:05 बजे से सुबह 09:09 बजे तक तोड़ना होगा।
ऐसी है मोक्षदा एकादशी की कथा
एक बार गोकुल शहर में वैखान नाम के एक राजा का शासन था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसका पिता नरक में है और अपने पुत्र से मुक्ति की याचना कर रहा है। अपने पिता की हालत देखकर राजा परेशान हो गया। अगले दिन राजा ने राज्य के गणमान्य ब्राह्मणों को बुलाया और अपने सपने का रहस्य पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा कि इस संबंध में पर्वत नामक ऋषि के आश्रम में जाओ और उसके पिता की मुक्ति का उपाय पूछो।
राजा ने जब पर्वत ऋषि की बात सुनी तो वह चिंतित हो गया। पर्वत ऋषि ने राजा को बताया कि उसके पिता ने पिछले जन्मों के कर्मों के कारण नरक को प्राप्त किया था और मोक्षदा एकादशी के उपवास के बारे में बताया। राजा से कहा कि यदि आप अपने पिता को व्रत का फल चढ़ाते हैं, तो वह मुक्त हो सकता है। तब राजा ने ऋषि के वचनों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन कराया, जिससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।