Kanwad Yatra 2024: कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, इस दिन किया जाएगा भगवान शिव का जलाभिषेक
कांवड़ यात्रा के दौरान कावड़िए कलश में पवित्र नदी का जल भरते हैं। कलश को कांवड़ पर बांध कर कंधों पर लटका कर अपने-अपने इलाके के शिवालय में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। मान्यता है भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। तभी से कांवड़ यात्रा की परंपरा चली आ रही है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 26 Jun 2024 11:26:23 AM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Jun 2024 12:16:13 PM (IST)
कांवड़ यात्रा के दौरान की तस्वीर HighLights
- तीर्थ यात्रा के समान ही मानी जाती है कांवड़ यात्रा।
- लाखों लोग कांवड़ लेकर पैदल यात्रा पर निकलते हैं।
- कांवड़ यात्रा को लेकर महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Kanwad Yatra 2024: हिंदू धर्म में सावन माह की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है। कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। कांवड़ यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में कांवड़ियां हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जाते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा को लेकर कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनका यात्रा करते समय पालन करना बहुत जरूरी है। कांवर यात्रा के नियमों में किसी भी तरह की छूट नहीं होती है। आइए, जानते हैं कि इस साल कावड़ यात्रा कब से शुरू हो रही है और इससे जुड़े नियम कौन-से हैं।
कांवड़ यात्रा 2024
ऐसा माना जाता है कि कांवड़ यात्रा पूरी करने वालों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। कांवड़ यात्रा को तीर्थ यात्रा के समान माना जाता है। हर साल लाखों लोग भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए कांवड़ लेकर पैदल यात्रा पर निकलते हैं। इस वर्ष कांवड़ यात्रा 22 जुलाई, 2024 को शुरू होगी और 2 अगस्त, 2024 को सावन शिवरात्रि पर शिव जलाभिषेक के साथ यह समाप्त होगी।
कांवड़ यात्रा के नियम
- कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान सभी शिव भक्तों को पैदल यात्रा करनी चाहिए।
- कांवड़ में गंगाजल या फिर किसी पवित्र नदी का जल ही रखा जा सकता है।
- यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक भोजन करना चाहिए।
- कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार का नशा, मांस, शराब या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- यात्रा में किसी भी वाहन का उपयोग नहीं किया जाता है। शुरू से लेकर खत्म होने तक यात्रा पैदल ही की जाती है।
- आराम करते समय कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता है। इससे कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है।
- हमेशा स्नान करने के बाद ही कांवड़ को छूना चाहिए और यात्रा के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कांवड़ आपसे चमड़ा स्पर्श न हो। कांवड़ियों को हमेशा समूह के साथ रहना चाहिए।
- कांवड़ यात्रा के दौरान बम बम भोले या जय जय शिव शंकर का उच्चारण करना चाहिए।
डिसक्लेमर
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