Kaal Bhairav Jayanti 2020: मार्गशीर्ष महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर 7 सितंबर सोमवार को काल भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ती के लिए काल भैरव (Kaal Bhairav) का पूजन होगा। तंत्र के देवता भैरव से जुड़ी कई रोचक कथाएं है। इसमें एक कथा ऐसी भी है जिसमें काल भैरव ने सृष्टि के रचियता ब्रह्मा द्वारा शिव अपमान करने पर ब्रह्माजी का सिर काट दिया था। (नीचे पढ़िए काल भैरव को प्रसन्न करने के मंत्र)। इंदौर में काली मंदिर खजराना के शिव प्रसाद तिवारी बताते है कि शिवपुराण में एक कथा आती है जिसमें बताया गया है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु स्वयं को भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर श्रेष्ठ मानने लगे थे। उनकी श्रेष्ठता के बारे में जब वेदों से पूछा गया तो उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया। इस बात को ब्रह्मा व विष्णु ने मानने से इनकार कर दिया। ब्रह्माजी माया के वशीभूत होकर महादेव की निंदा करने लगे। यह सुनकर शिवजी बेहद क्रोधित हुए और ब्रह्मा जी से अपने अपमान का बदला लेने का मन बना लिया।
नाखून से काट दिया सिर
शिवजी ने अपने रौद्र रूप से काल भैरव (Kaal Bhairav) को जन्म दिया। काल भैरव ने भगवान के अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्माजी का सिर अपने नाखून से काट दिया। इसके चलते उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया। इससे मुक्ति के लिए भगवान शिव के आदेश से वे धरती पर आए। हत्या के बाद ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से चिपक गया था जब वह काशी पहुंचे तो यहां ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से अलग हो गया और वे काशी में स्थापित हो गए।
काल भैरव (Kaal Bhairav) को प्रशन्न करने के मंत्र
काल भैरव जंयती पूजा मुहूर्त
अष्टमी तिथि 7 दिसंबर को शाम 6.47 से आरंभ होगी और 8 दिसंबर को शाम 5.17 बजे तक रहेगी। काल भैरव की पूजा रात के समय में की जाती है। ऐसे में अष्टमी में प्रदोष व्यापनी तिथि का विशेष महत्व होता है।