Ipoortance of Donation: सनातन संस्कृति में दान का बड़ा महत्व बताया गया है। पौराणिक ग्रंथों में दान का महिमामंडन करते हुए इसको भोग और मोक्ष दोनों के लिए आवश्यक बताया है। शास्त्रों में कहा गया है कि अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य करने से इहलोक में सभी सुखों की प्राप्ति होकर परलोक में मोक्ष मिलता है। इसलिए मानव सामान्य परिस्थतियों में, तिथि-त्यौहारो पर, तीर्थस्थलों पर, किसी कार्य विशेष कि सिद्धि के लिए दान करता है।
शास्त्रों में है दान के प्रकार का उल्लेख
पौराणिक शास्त्रों में चार तरह के पुरुषार्थ का उल्लेख मिलता है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसी तरह सनातन संस्कृति में कुछ संस्कारों का बड़ा महत्व है। इसी में से एक दान है। वेदों में तीन तरह के दानदाताओं का वर्णन किया गया है। जो उत्तम, मध्य और निकृष्ट। धर्म की उन्नति स्वरूप सत्यविद्या के लिए जो दान दिया जाता देता है वह उत्तम दान की श्रेणी में आता है। स्वार्थवश किया गया दान मध्यम दान की श्रेणी में आता है और जो व्यक्ति वेश्यागमनादि, भांड आदि दुराचारी व्यक्ति को दान देता है ऐसा दान निकृष्ट दान कहलाता है। पौराणिक शास्त्रों में अन्नदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
मान्यता है कि दान करने से भोगों की आसक्ति से छुटकारा मिलता है। कष्टों से मुक्ति और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।जो व्यक्ति जरूरतमंद को दान करता है वह इहलोक में सभी तरह के सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष को प्राप्त करता है। दान करने से ग्रहों के दोषों का भी निवारण होता है।
विभिन्न वस्तुओं के दान से विभिन्न फलों की होती है प्राप्ति
शास्त्रों में दान-पुण्य के संबंध में कुछ खास बातें बताई गई है। इसके अनुसार दान देते समय दान देने वाले मानव का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और दान लेने वाले का मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। अलग-अलग पदार्थो के दान से अलग- अलग फल मिलता है। वस्त्रों का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गुड़ का दान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। रूप और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए चांदी का दान करना चाहिए। दीपदान करने से नेत्र संबंधी रोग नहीं होते है। किसी मरीज को औषधि का दान करने से सुख की प्राप्ति होती है। गाय को घास का दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। तिल का दान करने से संतान की प्राप्ति होती है। लोहे का दान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
अष्टधान्य और सप्तधान्य से मिलता है उत्तम फल
कपास, का दान करने से सुख-शांति मिलती है। सोने का दान करने से लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है। भूदान करने से अच्छे घर की प्राप्ति होती है। गौदान से सूर्यलोक मिलता है। घी का दान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। नमक के दान से घर में अन्न के भंडार भरे रहते हैं। सप्तधान्य के दान से संपत्ति मिलती है। तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्तधान्य, भूमि, गाय इनको अष्टधान्य कहा गया है। किसी शुभ प्रसंग या त्योहारों पर इनका दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। पितृों को तृप्त करने के लिए गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक ये दस महादान किए जाते हैं।