धर्म डेस्क, इंदौर। Hariyali Teej 2024: सावन के महीने का हर दिन अपने आप में महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। हरियाली तीज को हरतालिका तीज भी कहा जाता है।
इस साल हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त, बुधवार को रखा जाने वाला है। हरियाली तीज पर्व को सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से मनाती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। ऐसे में सुहागिन महिलाएं हरी साड़ी, हरी चूड़ियां पहनती हैं। इस दिन पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का भी बहुत महत्व होता है। हरियाली तीज व्रत कथा के बिना अधूरा माना जाता है। आइए, जानते हैं कि हरियाली तीज की व्रत कथा क्या है।
एक बार जब भगवान शिव ने मां पार्वती को उनके पिछले जन्म की याद दिलाई, तो उन्होंने कहा, हे पार्वती! तुमने मुझे पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तपस्या की थी। तुमने सर्दी, गर्मी, बरसात आदि सभी ऋतुओं में अन्न-जल ग्रहण किए बिना बहुत कष्ट उठाया। आपकी तपस्या को देखकर आपके पिता पर्वतराज बहुत दुखी हुए।
तब एक दिन नारद मुनि आपके घर आए और आपके पिता से कहा कि मैं भगवान श्री हरि विष्णु की आज्ञा से यहां आया हूं। विष्णु जी तुम्हारी पुत्री की तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं और उससे विवाह करना चाहते हैं, तो आपके पिता नारद मुनि की बातें सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और नारद जी से कहा कि उन्हें विवाह का प्रस्ताव स्वीकार है। यह सुनकर नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उन्हें इसकी जानकारी देते हैं।
इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती से कहते हैं कि जब तुम्हारे पिता ने तुम्हें यह समाचार दिया, तो तुम्हे बहुत दुख हुआ। क्योंकि तुमने मुझे अपना पति मान लिया था। इसके बाद आपने अपना दर्द अपनी सखी को बताया। तब तुम्हारी सखी ने सुझाव दिया कि तुम घने जंगल में रहो। उसके बाद तुम बिना किसी को बताए वन में चली गई और मुझे प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। जब तुम्हारे पिता को तुम्हारे अचानक गायब होने का पता चला, तो वे बहुत चिंतित हुए। वह सोचने लगे कि यदि इसी बीच भगवान विष्णु बारात लेकर आ गये तो क्या होगा।
जिसके बाद तुम्हारे पिता ने तुम्हें ढूंढते हुए धरती-पाताल एक कर दिया था। लेकिन वह तुम्हें ढूंढ नहीं सके, क्योंकि उस समय तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा करने में पूरी तरह लीन थी। तब मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करने का वचन दिया।
तभी इसी बीच तुम्हारे पिता तुम्हें ढूंढते हुए गुफा के पास आ गए और तब तुमने उन्हें अपनी सारी कहानी बताई। आपने उन्हें बताया कि मैंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अपना जीवन तपस्या में बिताया और अंततः वह तपस्या सफल हुई।
तब आपने अपने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी घर लौटूंगी, जब आप मेरा विवाह शिव से ही कराएंगे। तब पर्वतराज सहमत हुए और यह सुनिश्चित किया कि हमारा विवाह सभी रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाए।
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